विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Feb 23, 2022

Shabari Jayanti: ऋषि मातंग के आशीर्वाद से शबरी और भगवान श्रीराम की हुई थी मुलाकात, पढ़ें यह पौराणिक कथा

शबरी जयंती (Shabari Jayanti 2022) का पर्व फाल्गुन माह (Falgun Month 2022) में कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाया जाता है. यह तिथि भगवान श्री राम और माता शबरी को समर्पित है. इस दिन भगवान श्री राम के साथ-साथ माता शबरी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.

Read Time: 4 mins
Shabari Jayanti: ऋषि मातंग के आशीर्वाद से शबरी और भगवान श्रीराम की हुई थी मुलाकात, पढ़ें यह पौराणिक कथा
Shabari Jayanti: भगवान श्री राम ने जूठे बेर खाकर शबरी से कही ये थी ये बात, पढ़ें यह कथा
नई दिल्ली:

Shabari Jayanti 2022: हिंदी पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती का पर्व फाल्गुन माह (Falgun Month 2022) में कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाया जाता है. यह तिथि भगवान श्री राम और माता शबरी को समर्पित है. इस दिन भगवान श्री राम की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इस बार शबरी जयंती 23 फरवरी यानी आज है. इस दिन शबरी माला में माता शबरी की पूजा करने का भी विधान है.

Shabari Jayanti 2022: कौन थीं माता शबरी, जानिए क्या है इस दिन का महत्व और पूजा विधि

मान्यताओं के अनुसार, शबरी की भक्ति को पूर्ण करने के लिए भगवान श्री राम ने उनके जूठे बेर खाए थे, इसलिए हर साल शबरी जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. बताते हैं कि रामायण और रामचरितमानस आदि में शबरी की कथा का उल्लेख मिलता है. इस दिन माता शबरी की स्मृति यात्रा निकाली जाती है. इस दिन रामायण का पाठ आदि कराना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं शबरी जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा.

Yashoda Jayanti: मान्यता है कि गृह क्लेश से मुक्ति और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है यह व्रत, पढ़ें कथा

dooum6ro

शबरी जंयती पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, शबरी का नाम श्रमणा था. बताते हैं कि श्रमणा बचपन से ही भगवान श्री राम की भक्ती में लीन थीं. कथा के अनुसार, श्रमणा का विवाह जिससे हुआ था वह असुरी प्रवृत्ति का था, जिसकी वजह से लोग श्रमणा से भी दूर रहने लगे थे. इन्हीं सभी कारणों से परेशान होकर एक दिन श्रमणा ने अपने घर का त्याग कर दिया. इसके बाद श्रमणा ने मतंग ऋषि के आश्रम में शरण ली.

एक दिन श्रमणा का पति उन्हें ढूंढते-ढूंढते मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंच गया. जहां वह मतंग ऋषि से अभद्रता करने लगा. यह देख मतंग ऋषि ने उसे बांध दिया, जिसके बाद वह क्षमा याचना करने लगा और दोबारा कभी मातंग ऋषि के आश्रम न आने की शपथ ली.

इस बीच श्रमणा भगवान श्री राम की भक्ति में लीन हो गई. जब प्रभु उसके पास माता जानकी को खोजते हुए पहुंचे तो भक्तिमय श्रमणा उन्हें अपने जूठे बेर खिलाने लगी. भगवान की भक्ति में वह इतनी लीन हो गई की उसे इस बात का पता भी नहीं चला. शबरी की भक्ति की यह कथा कई ग्रंथों में लिखी गई है.

f04mube8

शबरी की राम से मुलाकात

अपने पति से परेशान होकर शबरी अपना घर त्यागकर जंगलों में भटकने लगी. इस दौरान किसी ने भी उनकी मदद नहीं की. ऐसे में वे मतंग ऋषि के आश्रम पहुंचीं, जहां मंगत ऋषि ने माता शबरी के गुरू भाव से प्रसन्न होकर अपना शरीर त्यागने से पहले आशीर्वाद दिया कि भगवान श्री राम उनसे मिलने जरूर आएंगे.

इसके बाद शबरी को मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी. माता शबरी ने पूरा जीवन भगवान श्री राम की प्रतीक्षा की. श्री राम ने जब माता शबरी को दर्शन दिए तो उनके जूठे बेर खान के बाद उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, उन्हें मोक्ष प्रदान किया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
जुलाई के पहले हफ्ते में रखा जाएगा प्रदोष व्रत, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि  
Shabari Jayanti: ऋषि मातंग के आशीर्वाद से शबरी और भगवान श्रीराम की हुई थी मुलाकात, पढ़ें यह पौराणिक कथा
केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले, भक्तों के लिए चारधाम यात्रा प्रारंभ
Next Article
केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले, भक्तों के लिए चारधाम यात्रा प्रारंभ
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;