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This Article is From Dec 21, 2021

Saphala Ekadash 2021: जानिए पौष माह में सफला एकादशी के दिन चावल न खाने की पीछे की मान्यता

Saphala Ekadash: पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है. यह तिथि भगवान श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होती है. इस साल सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) 30 दिसंबर 2021 को पड़ रही है.

Saphala Ekadash 2021: जानिए पौष माह में सफला एकादशी के दिन चावल न खाने की पीछे की मान्यता
Saphala Ekadash 2021: जानिए पौष माह में कब है सफला एकादशी, जानिए इस दिन चावल न खाने की पीछे की मान्यता
नई दिल्ली:

हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) को बहुत श्रेष्ठ माना गया है. मार्गशीर्ष माह (Margashirsh Month) के बाद 20 दिसंबर से पौष माह (Paush Month) की शुरुआत हो चुकी है. पौष माह में पड़ने वाली एकादशी को सफला एकादशी (Saphala Ekadashi 2021) के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि हर माह दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस साल सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) 30 दिसंबर 2021 को पड़ रही है. एकादशी (Ekadashi) का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होता है. शास्त्रों में हर माह पड़ने वाली एकादशी व्रत के अलग-अलग नाम और महत्व के बारे में बताया गया है. पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत का पुण्य कठोर तपस्या, अश्वमेध यज्ञ और तमाम पवित्र नदियों के स्नान करने से भी कहीं ज्यादा है. जानिए इस व्रत से जुड़ी खास बातें.

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सफला एकादशी का महत्व | Significance Of Saphala Ekadashi

कहा जाता है कि सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) के महत्व का वर्णन स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था. सफला एकादशी के व्रत के बारे में बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि सफला एकादशी व्रत के अनुष्ठान से व्यक्ति को परम संतोष की प्राप्ति होगी, जो उसे बड़े-बड़े यज्ञों से भी नहीं हो सकती. माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को मन चाहा फल प्राप्त हो सकता है. ये व्रत अत्यंत पुण्यदायी और मंगलकारी माना जाता है. कहते हैं जो भक्त सफला एकादशी का व्रत रखते हैं व रात के समय जागरण करते हैं, उन्हें इस व्रत से वो श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है, जो श्रेष्ठ यज्ञों से भी संभव नहीं है.

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इस दिन क्यों नहीं खाया जाता चावल

मान्यता है कि इस दिन महर्षि मेधा ने माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए अपने शरीर का त्याग कर दिया था, जिसके उपरांत उनका शरीर धरती में समा गया था. इस दिन एकादशी (Ekadashi) थी. माना जाता है कि वह चावल और जौ के रूप में वह उत्पन्न हुए थे, यही कारण है कि इस दिन लोग चावल का सेवन नहीं करते.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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