जानें संकष्टी चतुर्थी की पूजा का महत्व
नई दिल्ली:
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी. इन दिन सभी दुखों को खत्म करने वाले गणेश जी का पूजन किया जाता है. इस दिन गौरी पुत्र गणेश जी के लिए व्रत रखा जाता है. पूरे विधि-विधान से पूजा-पाठ किया जाता है. हर महीने दो बार चतुर्थी मनाई जाती है. पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है.
अगर यह चतुर्थी मंगलवार को पड़े तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं. वहीं, माघ महीने की पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को बहुत शुभ माना जाता है. नीचे जानें इसकी पूजा विधि, महत्व और इसके अनेक नामों के बारे में.
जानिए कैसे एक छोटा-सा चूहा बना भगवान गणेश की सवारी
कैसे करें पूजा?
1. इस दिन व्रत रखें. सूरज उगने से पहले स्नान कर पूजा करें.
2. पूजा के दौरान धूप जलाएं और इस मंत्र का जाप करें.
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
3. पूरे दिन पानी, साबूदाने की खीर या दूध की मिठाई के अलावा कुछ ना खाएं.
जानिए क्यों हर शुभ काम की शुरूआत भगवान गणेश से की जाती है
4. शाम को चांद निकलने से पहले पूजा करें. इस पूजा के दौरान थाली में तिल और गुड़ के लड्डू, फूल, कलश में पानी, चंदन, धूप, केला या नारियल प्रसाद के तौर पर रखें
5. पूजा करते वक्त दुर्गा माता की मूर्ति भी साथ में रखें. गणेश जी की पूजा के दौरान माता की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है.
क्यों गणेश जी की पूजा में इस्तेमाल नहीं होती तुलसी?
6. गणेश जी के मंत्र के साथ पूजा करें. माथे पर चंदन लगाएं, धूप जलाएं, फूल और लड्डू चढ़ाएं और जल अर्पित करें.
7. पूजा के बाद प्रसाद और लड्डुओं को प्रसाद के तौर पर बांटे.
जानिए क्यों हर शुभ काम की शुरूआत भगवान गणेश से की जाती है
क्या है महत्व?
मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से घर में शांति बनी रहती है और जीवन में सुख आता है. घर में आ रही विपदाओं को गणेश जी हर लेते हैं.
भगवान शिव को आखिर क्यों कहा जाता है नीलकंठ?
अनेक नाम?
इस चतुर्थी का उत्तरी भारत ही नहीं दक्षिणी भारत में भी बहुत महत्व है. इसी वजह से इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. यहां जानिए संकष्टी चतुर्थी के कितने नाम हैं.
कटने के बाद आखिर कहां गिरा भगवान गणेश का सिर?
1. तमिल नाडु में संकष्टी चतुर्थी को गणेश संकटहरा या संकटहरा चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.
2. माघ माह की पूर्णिमा के बाद पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है.
3. संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़े तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं.
4. महाराष्ट्र में इस चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से ही जाना जाता है.
5. अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.
6. भाद्रपद या भादो महीने में पड़ने वाली चतुर्थी को बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है.
7. भाद्रपद माह के दौरान पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.
देखें वीडियो - गणेश चतुर्थी, भक्तजनों में खुशी की लहर
अगर यह चतुर्थी मंगलवार को पड़े तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं. वहीं, माघ महीने की पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को बहुत शुभ माना जाता है. नीचे जानें इसकी पूजा विधि, महत्व और इसके अनेक नामों के बारे में.
जानिए कैसे एक छोटा-सा चूहा बना भगवान गणेश की सवारी
कैसे करें पूजा?
1. इस दिन व्रत रखें. सूरज उगने से पहले स्नान कर पूजा करें.
2. पूजा के दौरान धूप जलाएं और इस मंत्र का जाप करें.
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
3. पूरे दिन पानी, साबूदाने की खीर या दूध की मिठाई के अलावा कुछ ना खाएं.
जानिए क्यों हर शुभ काम की शुरूआत भगवान गणेश से की जाती है
4. शाम को चांद निकलने से पहले पूजा करें. इस पूजा के दौरान थाली में तिल और गुड़ के लड्डू, फूल, कलश में पानी, चंदन, धूप, केला या नारियल प्रसाद के तौर पर रखें
5. पूजा करते वक्त दुर्गा माता की मूर्ति भी साथ में रखें. गणेश जी की पूजा के दौरान माता की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है.
क्यों गणेश जी की पूजा में इस्तेमाल नहीं होती तुलसी?
6. गणेश जी के मंत्र के साथ पूजा करें. माथे पर चंदन लगाएं, धूप जलाएं, फूल और लड्डू चढ़ाएं और जल अर्पित करें.
7. पूजा के बाद प्रसाद और लड्डुओं को प्रसाद के तौर पर बांटे.
जानिए क्यों हर शुभ काम की शुरूआत भगवान गणेश से की जाती है
क्या है महत्व?
मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से घर में शांति बनी रहती है और जीवन में सुख आता है. घर में आ रही विपदाओं को गणेश जी हर लेते हैं.
भगवान शिव को आखिर क्यों कहा जाता है नीलकंठ?
अनेक नाम?
इस चतुर्थी का उत्तरी भारत ही नहीं दक्षिणी भारत में भी बहुत महत्व है. इसी वजह से इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. यहां जानिए संकष्टी चतुर्थी के कितने नाम हैं.
कटने के बाद आखिर कहां गिरा भगवान गणेश का सिर?
1. तमिल नाडु में संकष्टी चतुर्थी को गणेश संकटहरा या संकटहरा चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.
2. माघ माह की पूर्णिमा के बाद पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है.
3. संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़े तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं.
4. महाराष्ट्र में इस चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से ही जाना जाता है.
5. अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.
6. भाद्रपद या भादो महीने में पड़ने वाली चतुर्थी को बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है.
7. भाद्रपद माह के दौरान पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.
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