Sandalwood: चंदन का इस्तेमाल अक्सर पूजा-पाठ के दौरान किया जाता है. यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है- सफेद और लाल, इन दोनों का इस्तेमाल व्यापक स्तर पर किया जाता है. चंदन (Sandalwood) एक विशेष प्रकार की सुगंधित लकड़ी है. इसकी खुशबू बेमिसाल होती है. यही कारण है कि किसी यज्ञ, धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ (Puja Path) में इसका खूब इस्तेमाल होता है. चंदन का इस्तेमाल पूजा-पाठ के अलावा ग्रह दोष की शांति के लिए भी किया जाता है. माना जाता है कि चंदन के इस्तेमाल से राहु दोष खत्म होता है. आइए जानते हैं पूजा-पाठ में इस्तेमाल किए जाने वाले चंदन का महत्व.
चंदन का धार्मिक महत्व | Religious Significance of Sandalwood
सनातन धर्म में चंदन को बेहद पवित्र माना जाता है. पूजा-पाठ के दौरान चंदन की लकड़ी, चंदन का लेप और चंदन के इत्र का प्रयोग किया जाता है. साथ ही चंदन के लेप से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. भगवान विष्णु की पूजा में सफेद चंदन का इस्तेमाल किया जाता है. देवी की पूजा में लाल चंदन का इस्तेमाल किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रह जनित दोष को दूर करने के लिए चंदन का इस्तेमाल किया जाता है.
टीका लगाने के लिए किस तरह किया जाता है चंदन का इस्तेमाल | Use of Sandalwood
सफेद या लाल चंदन का इस्तेमाल पूजा-पाठ के दौरान टीका लगाने के लिए भी किया जाता है. इसके लिए चंदन को पत्थर पर घिस लिया जाता है. इसके बाद सबसे पहले अपने ईष्ट देव को अनामिका अंगुली से तिलक लगाया जाता है. फिर खुद के मस्तक, कंठ और नाभि पर तिलक लगाया जाता है. धार्मिक मान्यतानुसार, देवी की उपासना में लाल और अन्य देवताओं की उसापना में सफेद चंदन का इस्तेमाल किया जाता है.
मानसिक परेशानी और राहु दोष को दूर करने के लिए चंदन
मानसिक परेशानियों को दूर करने के लिए भी चंदन का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए चंदन का असली इत्र लेकर रोजाना स्नान के बाद दोनों हाथों की कलाइयों पर लगाया जाता है. साथ ही हृदय के बीच में भी लगाया जाता है. इसके अलावा पूजा के समय चंदन की सुगंध वाली धूप बत्ती जलाई जाती है. वहीं राहु दोष को दूर करने के लिए भी चंदन का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए चंदन के टुकड़े को नीले कपड़े में बांधकर लॉकेट बना लिया जाता है. शनिवार की शाम लाल धागे में पिरोकर गले में धारण कर लिया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से राहु दोष खत्म हो जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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