सबरीमाला मंदिर की ‘आरत्तू’ रस्म से महिलाओं को रखा जाएगा पंपा नदी से दूर

सबरीमाला मंदिर की ‘आरत्तू’ रस्म से महिलाओं को रखा जाएगा पंपा नदी से दूर

फाइल फोटो

सबरीमाला (केरल):

सबरीमाला मंदिर के अधिकारियों ने 23 मार्च को रस्मी स्नान ‘‘आरत्तू’’ के दौरान पंपा नदी के आसपास रजस्वला आयु की महिलाओं की उपस्थिति को नियंत्रित करने का आज फैसला किया। यह फैसला विवाद को जन्म दे सकता है।
 
मंदिर का प्रबंधन ट्रावणकोर देवास्वम बोर्ड करता है। बोर्ड ने पिछले कुछ वषरें के दौरान महिलाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला किया है।
 
बोर्ड ने यह दावा भी किया कि देवप्रश्नम में यह भी पता चला कि भगवान अय्यप्पा पवित्र रिवाज के दौरान महिलाओं की अधिक उपस्थिति को पसंद नहीं करते। भगवान अय्यप्पा को नैष्ठिक ब्रह्मचारी माना जाता है।
 
अय्यप्पा की मूर्ति को स्नान के लिए मंदिर के गर्भगृह से पम्मा नदी ले जाया जाता है।
 
हालांकि इस पहाड़ी मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं का प्रवेश निषेध है लेकिन आरत्तू रस्म को छोड़कर पंपा में और आसपास महिला श्रद्धालुओं के आने पर कोई रोक नहीं है।
 
बोर्ड के अध्यक्ष पी गोपालकृष्णन ने कहा कि हाल के सालों में कई महिलाओं ने इस मौके का ‘‘दुरूपयोग’’ किया और इस पवित्र रस्म के दौरान मौजूद रहीं।
 
उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘पम्पा और परिसरों में महिलाओं के लिए बंदिशें आरत्तू रस्म के दौरान ही रहेंगी। रस्म के दौरान आरत्तू कदावू में महिलाओं का प्रवेश दशकों से नहीं हुआ है।’’ कदावू वह स्थान है, जहां भगवान को पवित्र स्नान कराया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘मंदिर और प्रशासन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के निर्देश के अनुसार हम 10 से 50 वर्ष तक की आयु की महिलाओं से इस रस्म के दिन पम्पा नदी पर न आने का अनुरोध करते हैं।’’
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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