
Jal chadhane ke Niyam: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का बहुत महत्व है. श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित माना जाता है और भक्त इस पूरे माह में हर दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के साथ साथ श्रावण सोमवार का व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव भक्तों पर असीम कृपा करते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी कर देते हैं. हालांकि शिवलिंग को जल चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान (Jal chadhane ke Niyam) रखना जरूरी होता है. सही तरीके से जल चढ़ाने से ही भगवान शिव (Shivling Par Jal Kaise Chadhaye) प्रसन्न होते हैं. जल चढ़ाने में गलती से पाप चढ़ने का भय होता है. इंस्टाग्राम पर mr.highthink अकाउंट के एक पोस्ट में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के सही तरीके के बारे में बताया गया है. आइए जानते हैं शिवलिंग और सूर्य देव को जल चढ़ाने का सही तरीका (Suryadev Ko Jal Jal Kaise Chadhaye).
शिवलिंग पर कैसे चढ़ाना चाहिए जल (Rules for offering water to Shivling)
भगवान शिव की पूजा अर्चना में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का बहुत महत्व है. हालांकि जल चढ़ाते समय समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. शिवलिंग को हमेशा एक धार में जल चढ़ाना चाहिए. अगर पानी की धार टूट जाती है तो जल चढ़ाना रोक देना चाहिए. रुक रुक कर चढ़ाया गया जल भगवान शिव स्वीकार नहीं करते हैं और पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है. इसके अलावा जल चढ़ाने के लिए गंगाजल, साफ पानी या गाय के दूध का ही उपयोग करना चाहिए. जल की धारा हमेशा पतली और धीमी और लगातार होनी चाहिए. हमेशा पूर्व दिशा में मुख करके जल चढ़ाना चाहिए. जल चढ़ाते समय झुककर या बैठकर पूजा करनी चाहिए.
शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये चीजें (Do not offer these things to Shivling)
भगवान शिव की पूजा में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के अलावा कुछ खास चीजें भी चढ़ाई जाती है. बेलपत्र, धतुरा, आक के फूल और शमी के पत्ते शिव भगवान को विशेष प्रिय है इसलिए शिवलिंग पर इन्हें जरूर चढ़ाना चाहिए. लेकिन शिवलिंग पर कुछ चीजों को चढ़ाना वर्जित माना जाता है. शिवलिंग पर भूलकर भी तुलसी, सिंदूर, नारियल, शंख और केतकी के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए. भगवान शिव की पूजा ये सभी चीजें निषिद्ध मानी जाती हैं.

सूर्य देव को जल चढ़ाने के नियम (Rules for offering water to Sun)
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. सूर्य देव को हमेशा तीन धार में जल चढ़ाना चाहिए. प्रात: काल स्नान करने के बाद पूर्व दिशा में मुख करके तांबे के लोटे से सूर्य देव को जल चढ़ाएं और तीन धार में जल चढ़ाएं. एक बार जल दें फिर रुकें फिर जल चढ़ाएं फिर रुकें और फिर जल चढ़ाएं. सूर्य देव तीन धार में चढ़ाए गए जल को ही स्वीकार करते हैं.
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