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जानिए ज्योतिषाचार्य से किन चीजों को करने से रुद्राक्ष की शक्ति होती है कम और धारण करने का सही तरीका क्या है...

यह भगवान शिव का एक अंश माना जाता है और इससे कष्ट दूर होते हैं. लेकिन आपको रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसके सही नियम के बारे में पता होना जरूरी है, नहीं तो फायदे की जगह नुकसान हो सकते हैं.

जानिए ज्योतिषाचार्य से किन चीजों को करने से रुद्राक्ष की शक्ति होती है कम और धारण करने का सही तरीका क्या है...
रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं. लेकिन वर्तमान समय में केवल 14 प्रकार के रुद्राक्ष उपलब्ध हैं.

Rudraksha Rules In Hindi : रुद्राक्ष की माला का विशेष आध्यात्मिक महत्व है. माना जाता है रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी. जब भगवान शिव ने कई सालों तक ध्यान करने के बाद अपनी आंखें खोलीं, तो उनके आंसुओं से रुद्राक्ष के पौधे पैदा हुए. वहीं, दूसरी कथा के अनुसार, भगवान शिव और त्रिपुरासुर असुर के बीच युद्ध के दौरान, भगवान शिव के पसीने की बूंदें धरती पर गिरीं और उनसे रुद्राक्ष के पेड़ उग आए. ऐसी कई और पौराणिक मान्यताएं हैं रुद्राक्ष की माला से जुड़ी जिसमें यह निकलकर आता है कि यह भोलेनाथ का अंश है.  यही कारण है लोग इसे गले या फिर हाथ में धारण करते हैं. इसके अलावा रुद्राक्ष से माला जप भी करते हैं . लेकिन आपको रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसके सही नियम के बारे में पता होना जरूरी है, नहीं तो फायदे की जगह नुकसान हो सकते हैं. ऐसे में हम आपको यहां पर ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र द्वारा रुद्राक्ष धारण करने का सही नियम बताने जा रहे हैं, जिसे आपको ध्यान रखना चाहिए. 

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रुद्राक्ष पहनने का सही नियम क्या है - What is the correct rule for wearing Rudraksha

रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है जो रुद्र (संस्कृत: रुद्र) और अक्सा (संस्कृत: अक्ष) नामक शब्दों से मिलकर बना है. “रुद्र” भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक है और “अक्सा” का अर्थ है ' अश्रु की बूंद'. इसका शाब्दिक अर्थ भगवान शिव के आंसुओं से है.

रुद्राक्ष भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए, नव ग्रह जनित पीड़ा, रोग निवारण और जीवन में धन संपत्ति प्राप्ति, सुखी और स्वस्थ जीवन जीने के लिए धारण किया जाता है.

रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं. लेकिन वर्तमान समय में केवल 14 प्रकार के रुद्राक्ष उपलब्ध हैं. प्रत्येक रुद्राक्ष का अपना अलग महत्व है. मान्यता है इसे धारण करने पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है, मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं. साथ ही यह नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है.

रुद्राक्ष कब धारण करें

रुद्राक्ष को शुक्ल पक्ष के सोमवार, पूर्णिमा महाशिवरात्रि को धारण किया  करना चाहिए.

रुद्राक्ष पहनने से पहले इसे जांच और परख लें कि यह असली है या नकली. इसके बाद रुद्राक्ष को पंचामृत से स्नान कराकर गंगाजल से शुद्ध करें भगवान शिव से अथवा शिवलिंग से स्पर्श करें.

भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र 'ओम नमः शिवाय' का 108 बार जाप करें. पांच बार गणेश जी का नाम लेकर लाल धागे में सोमवार अथवा महाशिवरात्रि के दिन गले में धारण करिए.

  •  रुद्राक्ष को अशुद्ध हाथों से नहीं छूना चाहिए. 
  •  रात में सोने से पहले उतार देना चाहिए.
  •  मांस मदिरा का सेवन करने से पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए.
  •  इसके अलावा रुद्राक्ष को पवित्र स्थान पर रखना चाहिए.
  •  इसे किसी अन्य व्यक्ति को नहीं देना चाहिए.
  • किसी को भी गले में धारण रुद्राक्ष छूने नहीं देना चाहिए.
  • रुद्राक्ष के साथ खेलने से भी इसकी ऊर्जा क्षीण हो जाती है.
  • इसके अलावा रुद्राक्ष को फैशन के लिए कभी नहीं पहनना चाहिए.

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