राम नवमी 2017: पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में हुआ था भगवान राम का जन्म
राम नवमी का पर्व हर वर्ष चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. इस पावन दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. श्री राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जो पृथ्वी पर अजेय लंकापति रावण से युद्ध लड़ने के लिए अवतरित हुए थे. हिन्दू धर्म की धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में चैत्र शुक्ल नवमी के दिन रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ और महारानी कौशल्या के यहां अखिल ब्रह्माण्ड नायक श्री राम ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, उनका जन्म पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में हुआ था.
भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया. अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी भगवान राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग 14 वर्ष के लिए वन चले गए. भगवान राम का संपूर्ण जीवन ही लोक कल्याण को समर्पित रहा. उन्होंने आजीवन मर्यादा का पालन करते हुए वे मर्यादापुरुषोत्तम कहलाए.
रामनवमी के त्यौहार का महत्व हिन्दू धर्म और सभ्यता में महत्वपूर्ण रहा है. इस पर्व के साथ ही देवी दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी जुडा़ है. इस तथ्य से हमें ज्ञात होता है कि भगवान श्रीराम जी ने भी देवी दुर्गा की पूजा की थी और उनके द्वारा कि गई शक्ति-पूजा ने उन्हें धर्म युद्ध ने उन्हें विजय प्रदान की. इस प्रकार इन दो महत्वपूर्ण त्यौहारों का एक साथ होना पर्व की महत्ता को और भी अधिक बढा़ देता है.
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भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया. अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी भगवान राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग 14 वर्ष के लिए वन चले गए. भगवान राम का संपूर्ण जीवन ही लोक कल्याण को समर्पित रहा. उन्होंने आजीवन मर्यादा का पालन करते हुए वे मर्यादापुरुषोत्तम कहलाए.
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