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कलयुग के राजा राहु और केतु के प्रकोप से बचना है तो भारत के इन मंदिरों का जरूर करें दर्शन!

आपको बता दें कि राहु की दशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतरदशा के कारण आदमी का जीवन कष्ट, भ्रम, क्लेश, धन हानि, पारिवारिक सुख में कमी, संतान सुख में कमी, जिद्दी स्वभाव और अपनों से धोखा जैसी स्थिति पैदा करता है.

कलयुग के राजा राहु और केतु के प्रकोप से बचना है तो भारत के इन मंदिरों का जरूर करें दर्शन!
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पास पेन्नार नदी की शाखा स्वर्णमुखी नदी के तट के पास श्रीकालहस्ती मंदिर स्थित है.

Rahu ketu impact on rashifal : ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है. साथ ही इन्हें कलियुग का राजा भी कहा जाता है. ये दोनों छाया ग्रह अगर कुंडली में उच्च स्थान पर होते हैं तो अप्रत्याशित सफलता प्रदान करते हैं और राजयोग का सुख भी मिलता है. वहीं, अगर खराब स्थिति में हो तो भ्रम, डर, छल जैसे नकारात्मक विचारों को जन्म देते हैं. जिससे जीवन में बहुत कठिनाई आती है. आपको बता दें कि राहु की दशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतरदशा के कारण आदमी का जीवन कष्ट, भ्रम, क्लेश, धन हानि, पारिवारिक सुख में कमी, संतान सुख में कमी, जिद्दी स्वभाव और अपनों से धोखा जैसी स्थिति पैदा करता है.

ऐसे में इससे उबरने के लिए राहु की शांति का उपाय जरूरी है. इसके लिए आप देश में मौजूद उन मंदिरो के दर्शन कर सकते हैं, जहां पर राहु की पूजा होती है. आइए बिना देर किए जानते हैं उनके बारे में...

राहु मंदिर, उत्तराखंड

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यह राहु मंदिर देवभूम‍ि उत्तराखंड के पौड़ी ज‍िले के थलीसैंड ब्‍लॉक में पड़ने वाले पैठाणी गांव में स्‍थ‍ित है. इस मंद‍िर में राहु की पूजा भगवान श‍िव के साथ होती है. इसे इन्द्रेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने जब अमृत पान के बाद राक्षस स्वरभानु का सिर और धड़ सुदर्शन चक्र से अलग किया था, तो वह यही स्थान है. आपको बता दें कि यह देश का इकलौता राहु मंदिर है.

थिरुनागेश्वरम मंदिर, तमिलनाडु

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भारत के दक्षिण राज्य तमिलनाडु के कुंभकोणम के बाहरी इलाके में थिरुनागेश्वरम गांव में स्थित है. थिरुनागेश्वरम मंदिर को भी राहु मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है. यह मंदिर नौ ग्रहों, खासकर राहु से जुड़ा हुआ है. इसके साथ ही यहां पर ब्रह्मा मंदिर भी है. आपको बता दें कि कुंभकोणम उत्तर में कावेरी नदी और दक्षिण में अरसलार नदी के बीच बसा हुआ है.

श्री कालहस्ती मंदिर, आंध्र प्रदेश 

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आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पास पेन्नार नदी की शाखा स्वर्णमुखी नदी के तट के पास श्रीकालहस्ती मंदिर स्थित है. इस मंदिर में राहु और केतु की पूजा होती है. 

इस मंदिर में कई शिवलिंग स्थापित हैं. दक्षिण के पंचतत्व लिंगों में यह वायु तत्त्व लिंग माना जाता है. यानी पूजारी भी यहां पर लिंग का स्पर्श नहीं कर सकते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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