राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी दतिया में पीतांबरा पीठ के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की. राष्ट्रपति के दतिया प्रवास के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. वहीं पीतांबरा पीठ में आम श्रद्धालुओं का सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक प्रवेश बंद रखा गया था. दतिया में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, मध्य प्रदेश शासन जनसंपर्क मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र, प्रदेश की नगर विकास एवं जिला प्रभारी मंत्री माया सिंह और प्रशासनिक अधिकारी उनकी अगवानी की.
पूरी होती है यहां आनेवाले की हर मान्यता
ऐसी मान्यता है कि मां पीतांबरा देवी दिन में तीन बार अपना रुप बदलती हैं मां के दर्शन से सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर को चमत्कारी धाम भी माना जाता है. मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है. इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं. राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं. मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है.
1935 में हुई थी स्थापना
इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई. ये चमत्कारी धाम स्वामीजी के जप और तप के कारण ही एक सिद्ध पीठ के रूप में जाना जाता है. भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही होते हैं. मंदिर प्रांगण में स्थित वनखंडेश्वर महादेव शिवलिंग को महाभारत काल का बताया जाता है.
भारत-चीन युद्ध के समय यहां हुआ था यज्ञ
बताया जाता है कि 1962 में भारत और चीन युद्ध के दौरान पूज्यपाद स्वामी जी ने देश की रक्षा के लिए मां बगलामुखी की प्रेरणा से 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था. 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं. उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी है और यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का उल्लेख है.
प्रणब मुखर्जी से पहले आ चुके हैं ये वीवीआईपी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से पहले पीतांबरा पीठ के दर्शन के लिए कई वीवीआईपी आ चुके हैं. इनमें पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी, राजीव गांधी, पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह, लालकृष्ण आडवानी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राज ठाकरे, फिल्म अभिनेता संजय दत्त मुख्य हैं. इसके अलावा कई प्रदेशों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री यहां आ चुके हैं.
पूरी होती है यहां आनेवाले की हर मान्यता
ऐसी मान्यता है कि मां पीतांबरा देवी दिन में तीन बार अपना रुप बदलती हैं मां के दर्शन से सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर को चमत्कारी धाम भी माना जाता है. मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है. इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं. राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं. मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है.
1935 में हुई थी स्थापना
इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई. ये चमत्कारी धाम स्वामीजी के जप और तप के कारण ही एक सिद्ध पीठ के रूप में जाना जाता है. भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही होते हैं. मंदिर प्रांगण में स्थित वनखंडेश्वर महादेव शिवलिंग को महाभारत काल का बताया जाता है.
भारत-चीन युद्ध के समय यहां हुआ था यज्ञ
बताया जाता है कि 1962 में भारत और चीन युद्ध के दौरान पूज्यपाद स्वामी जी ने देश की रक्षा के लिए मां बगलामुखी की प्रेरणा से 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था. 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं. उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी है और यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का उल्लेख है.
प्रणब मुखर्जी से पहले आ चुके हैं ये वीवीआईपी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से पहले पीतांबरा पीठ के दर्शन के लिए कई वीवीआईपी आ चुके हैं. इनमें पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी, राजीव गांधी, पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह, लालकृष्ण आडवानी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राज ठाकरे, फिल्म अभिनेता संजय दत्त मुख्य हैं. इसके अलावा कई प्रदेशों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री यहां आ चुके हैं.
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