भगवान गुरूवायुरप्पन (फोटो साभार: guruvayurdevaswom.nic.in)
गुरूवायुर:
भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कल यहां स्थित विश्व प्रसिद्ध श्रीकृष्ण मंदिर में पूरे भक्ति-भाव से पूजा-अर्चना की। राष्ट्रपति मुखर्जी ने नैवेद्य के रूप में भगवान श्रीकृष्ण को ‘कदली पझम और घी का प्रसाद’ चढ़ाया।
कदली पझम केले की एक खास किस्म है, जो छोटे लेकिन काफी मीठे होते हैं। यह केरल राज्य के मंदिरों में प्रसाद के तौर पर चढ़ाने के लिए खास तौर पर उगाया जाता है।
राष्ट्रपति मुखर्जी केरल के राज्यपाल पी. सदाशिवम और देवास्वम मंत्री वी.एस. शिवकुमार के साथ मंदिर पहुंचे। उन्होंने वहां करीब आधे घंटे का समय बिताया। उनकी यात्रा को देखते हुए मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
श्रीकृष्ण के बाल-गोपाल रूप की पूजा होती है यहां
गुरुवायुर मंदिर केरल में स्थित भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक बहुत प्राचीन मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण 'गुरुवायुरप्पन’ के नाम से पूजित हैं। यहां उनके बाल-गोपाल रूप की पूजा होती है।
मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण का विग्रह मूर्तिकला की एक बेजोड़ कृति है। यह कहा जाता है कि यह विग्रह भगवान विष्णु ने ब्रह्माजी को सौंपा था, जिसे उन्होंने यहां स्थापित कर दिया।
हिन्दू धर्म के अतिरिक्त अन्य धर्मों के लोग भी भगवान गुरुवायुरप्पन के दर्शन के लिए आते हैं।
कदली पझम केले की एक खास किस्म है, जो छोटे लेकिन काफी मीठे होते हैं। यह केरल राज्य के मंदिरों में प्रसाद के तौर पर चढ़ाने के लिए खास तौर पर उगाया जाता है।
राष्ट्रपति मुखर्जी केरल के राज्यपाल पी. सदाशिवम और देवास्वम मंत्री वी.एस. शिवकुमार के साथ मंदिर पहुंचे। उन्होंने वहां करीब आधे घंटे का समय बिताया। उनकी यात्रा को देखते हुए मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
श्रीकृष्ण के बाल-गोपाल रूप की पूजा होती है यहां
गुरुवायुर मंदिर केरल में स्थित भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक बहुत प्राचीन मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण 'गुरुवायुरप्पन’ के नाम से पूजित हैं। यहां उनके बाल-गोपाल रूप की पूजा होती है।
मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण का विग्रह मूर्तिकला की एक बेजोड़ कृति है। यह कहा जाता है कि यह विग्रह भगवान विष्णु ने ब्रह्माजी को सौंपा था, जिसे उन्होंने यहां स्थापित कर दिया।
हिन्दू धर्म के अतिरिक्त अन्य धर्मों के लोग भी भगवान गुरुवायुरप्पन के दर्शन के लिए आते हैं।
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