Pradosh Vrat December Mein Kab Hai: सनातन परंपरा में जिस शिव को कल्याण का देवता माना जाता है, उनकी कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत को उत्तम साधन माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखे जाने वाले इस व्रत के पुण्यफल से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट शीघ्र ही दूर हो जाते हैं. प्रदोष व्रत सभी जीवन से जुड़े दोष और बाधाओं को दूर करे मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. जिस प्रदोष व्रत को करने पर भगवान भोलेनाथ शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं, वह दिसंबर 2025 में कब-कब पड़ेगा और कब और कैसे इस व्रत में भगवान शिव की पूजा, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
दिसंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है
भगवान शिव की कृपा बरसाने वाला दिसंबर का पहला प्रदोष व्रत महीने की शुरुआत में यानि 02 दिसंबर 2025, मंगलवार के दिन पड़ेगा. पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि 02 दिसंबर 2025, मंगलवार को दोपहर 03:57 से प्रारंभ होकर अगले दिन 03 दिसंबर 2025, बुधवार के दिन दोपहर 12:25 बजे तक रहेगी. ऐसे में दिसंबर महीने का पहला प्रदोष 02 दिसंबर को ही रखा जाएगा.

चूंकि दिसंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ेगा, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन प्रदोष काल की पूजा का समय शाम को 05:24 बजे से लेकर रात्रि 08:07 बजे तक रहेगा. ऐसे में शिव साधकों को प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए इस दिन तकरीबन पौने तीन घंटे का समय मिलेगा.
दिसंबर महीने का दूसरा प्रदोष व्रत कब है
औढरदानी शिव की पूजा से जुड़ा दिसंबर माह का दूसरा प्रदोष व्रत इस महीने की 17 तारीख को रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार पौष मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि 16 दिसंबर 2025, मंगलवार के दिन रात्रि को 11:57 बजे प्रारंभ होकर 18 दिसंबर 2025, गुरुवार के दिन पूर्वाह्न 02:32 बजे समाप्त होगी. ऐसे में दिसंबर महीने का दूसरा प्रदोष व्रत इस महीने की 17 तारीख को रखा जाएगा. चूंकि यह प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ेगा इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा जिसे विधि-विधान से करने पर साधक को भगवान शिव की कृपा से करियर-कारोबार आदि में मनचाही सफलता प्राप्त होती है.

प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए शिव के साधक को सुबह जल्दी उठकर तन और मन से पवित्र हो जाना चाहिए. इसके बाद प्रदोष व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लेना चाहिए. प्रदोष व्रत वाले दिन यदि संभव हो तो सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए और काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए. प्रात:काल शिवलिंग पर जल आदि अर्पित करने के बाद संध्या के समय जब प्रदोष काल शुरु हो तो उस समय एक बार फिर भगवान शिव का विधि-विधान से विशेष पूजन करना चाहिए.
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प्रदोष काल की शिव पूजा में साधक को उनकी प्रिय चीजें जैसे बेलपत्र, शमीपत्र, चंदन, भस्म, धूप-दीप, धतूरा, भांग आदि अर्पित करना चाहिए. इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा और शिव चालीसा या फिर रुद्राष्टकं आदि का पाठ करना चाहिए. प्रदोष काल की पूजा करने के बाद महादेव की आरती अवश्य करें. प्रदोष व्रत का विशेष पुण्यफल पाने के लिए यदि संभव हो तो इस दिन विधि-विधान से रुद्राभिषेक करना चाहिए. प्रदोष व्रत का पारण प्रदोष काल की पूजा के बाद किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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