Pradosh Vrat 2023: पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. एक प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर कृष्ण पक्ष में रखा जाता है और दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में पड़ता है. प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता भी है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने पर भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं. इस दिन भोलेनाथ के साथ ही मां पार्वती की पूजा भी की जाती है. कहते हैं प्रदोष व्रत रखने पर जातक के परिवार में खुशियां आती है, रोग दूर होते हैं, परिवार के सदस्यों की दीर्घायु होती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीना लग चुका है. ऐसे में मार्गशीर्ष महीने (Margshirsha Month) का प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और किस मुहूर्त में प्रदोष व्रत की पूजा की जाएगी जानिए यहां.
प्रदोष व्रत की पूजा | Pradosh Vrat Puja
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि इस महीने पंचांग के अनुसार 10 दिसंबर, रविवार की सुबह 7 बजकर 13 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 11 दिसंबर, सोमवार सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते उदया तिथि के अनुसार मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत 10 दिसंबर, रविवार के दिन रखा जाएगा.
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में की जाती है. प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त 10 दिसंबर, रविवार शाम 5 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 8 मिनट तक रहेगा.
पूजा और उपाय- प्रदोष व्रत के दिन पूजा में शिवलिंग पर जलाभिषेक करना बेहद शुभ माना जाता है. कहते हैं थोड़ा जल बचाकर अपने घर लाना चाहिए और व्रत का पारण इस जल को ग्रहण करके करना चाहिए.
- वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए मां पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करनी चाहिए.
- इस दिन जरूरतमंदों को वस्त्र दान में देना भी शुभ माना जाता है.
- शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना भी शुभ होता है.
- प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल को घर के मंदिर में भी रखा जा सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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