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This Article is From Jan 15, 2019

Pongal 2019: मकर संक्रांति की तरह पोंगल भी है सूर्य उपासना का त्‍योहार, जानिए रोचक तथ्‍य

पोंगल (Pongal) एक कृषि पर्व है, जिसे तमिलनाडु के लोग धूमधाम से मनाते है. यह सूर्य उपासना और पृथ्‍वी के प्रति आभार का त्‍योहार है. इस बार पोंगल 15 फरवरी से 18 फरवरी तक मनाया जाएगा.

Pongal 2019: मकर संक्रांति की तरह पोंगल भी है सूर्य उपासना का त्‍योहार, जानिए रोचक तथ्‍य
Pongal 2019: पोंगल के दौरान भगवान सूर्य की उपासना की जाती है और उन्‍हें पारंपरिक पकवान पोंगल का भोग लगाया जाता है
नई दिल्‍ली:

पोंगल (Pongal) दक्षिण भारत का प्रमुख त्‍योहार है. उत्तर भारत में जहां, मकर संक्रांति (Makar Sankranti) मनाई जाती है वहीं दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में हिंदू परिवार धूमधाम से पोंगल का त्‍योहार मनाते हैं. चार दिन तक मनाया जाने वाला यह त्‍योहार मुख्‍य रूप से कृषि पर्व है, जिसमें सूर्य की उपासना की जाती है. पोंगल सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का प्रतीक है.  इस बार पोंगल का त्‍योहार 15 जनवरी से 18 फरवरी तक मनाया जाएगा.

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तमिलनाडु के लोग फसल के त्योहार पोंगल को उल्लास के साथ मनाते हैं और वर्षा, सूर्य व मवेशियों के प्रति आभार जताते हैं. लोग सुबह जल्दी उठकर नए कपड़े पहनते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान की आराधना करते हैं. घी में तले काजू, बादाम और इलायची की खूशबू से पूरा घर महक उठता है क्योंकि चावल, गुड़ और चने की दाल से पारंपरिक पकवान तैयार किया जाता है.  चकराई पोंगल की सामग्री दूध में उबाल कर लोग 'पोंगलो पोंगल', 'पोंगलो पोंगल' बोलते हैं. तमिल भाषा में पोंगल का मतलब है अच्‍छी तरह उबालना. यानी कि चावल, गुड़ और दाल से बने इस भोग को अच्‍छी तरह उबालकर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है. 

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भगवान सूर्य के प्रति आभार जताने के लिए उन्हें पोंगल के पकवान का भोग लगाया जाता है, जिसके बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. लोग एक दूसरे को पोंगल की बधाई देते हैं और चकराई पोंगल का आदान-प्रदान करते हैं. पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है. पहला दिन भोगी होता है, इस दिन लोग पुराने कपड़े, दरी आदि चीजों के जलाते हैं और घरों का रंग-रोगन करते हैं. 

दूसरे दिन पोंगल का मुख्य त्योहार होता है, जो तमिल महीने थाई के पहले दिन मनाया जाता है.  तीसरा दिन मट्टू पोंगल होता है, जब गाय, बैलों को नहलाकर उनके सींगों को रंगा जाता है और उनकी पूजा की जाती है. महिलाएं पक्षियों को रंगे हुए चावल खिलाती हैं और अपने भाइयों के कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं. राज्य के कुछ हिस्सों में सांड को पकड़ने के खेल - जलीकट्टू का भी आयोजन किया जाता है. चौथे दिन कन्नम पोंगल मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों के घर जाकर उनसे मुलाकात करते हैं और घूमने-फिरने जाते हैं.

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