
Pitru Paksha 2025 Shradh Mistakes: हिंदू धर्म में पितरों की पूजा से जुड़ा पितृपक्ष हर साल आश्विन मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक रहता है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस दौरान हमारे पितर पितृलोक से पृथ्वी लोक पर तमाम जीवों के रूप में आते हैं और अपनी पीढ़ी के द्वारा किए जाने वाले श्राद्ध से तृप्त होकर अपना आशीर्वाद उन पर बरसाते हैं. पितृपक्ष के दौरान किए जाने वाले श्राद्ध को लेकर धर्मशास्त्र में तमाम तरह के नियम बताए गये हैं, जिनकी अनदेखी करने पर अक्सर जाने-अनजाने लोगों को पितरों के कोप का शिकार बनना पड़ता है. आइए जानते हैं कि पितृपक्ष में हमें किन गलतियों को करने से बचना चाहिए.
1.श्रद्धा से करें श्राद्ध और दान
हिंदू मान्यता के अनुसार पितरों के लिए किये जाने वाले श्राद्ध का संबंध श्रद्धा से है, इसलिए पितरों का श्राद्ध हमेशा उनके प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ करें. भूलकर भी अभिमान या फिर उपेक्षित भाव से अपने पितरों का श्राद्ध न करें.श्राद्ध का पुण्य फल पाने की कामना रखने वाले व्यक्ति को कभी भूलकर भी अपने पितरों के नाम का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
2. सात्विक भोजन करें
पितृपक्ष के दौरान व्यक्ति को सादगी के साथ रहना चाहिए और पूरे 15 दिनों तक सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए. पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. जिस व्यक्ति को श्राद्ध कर्म करना होता है, उसे भूलकर भी अपने बाल, नाखून आदि नहीं काटना चाहिए और पूरे पितृपक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
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3. जब ब्राह्मण से करवाएं श्राद्ध
हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष का श्राद्ध हमेशा सुयोग्य एवं कर्मकांडी ब्राह्मण से करवाना चाहिए. श्राद्ध कर्म कराने और इसके भोज के लिए ब्राह्मण को एक दिन पूर्व आदरपूर्वक आमंत्रित करना चाहिए. भूलकर भी भोजन कराते समय व्यंजनों का गुणगान और दिए जाने वाले दान का अभिमान नहीं करना चाहिए. पितृपक्ष में कभी भी खराब चीजें दान में नहीं देनी चाहिए.
4. पितृपक्ष में न करें शुभ कार्य
हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को नहीं किया जाता है. ऐसे में शादी, विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, भूमिपूजन, भूमि-भवन का क्रय-विक्रय आदि नहीं करना चाहिए. इसी प्रकार पितृपक्ष में किसी नए कार्य अथवा नए भवन के निर्माण की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. इन सभी कार्यों को करने से पितृदोष लगता है.
5. इनका भूलकर न करें अपमान
पितृपक्ष के दौरान यदि आपके आपके घर-आंगन में या फिर मुख्य द्वार पर गाय, कुत्ता और कौआ आए तो उसका निरादर न करें बल्कि उसे यथासंभव खाने की चीज देकर विदा करें. इसी प्रकार यदि कोई श्राद्ध वाले दिन आता है तो उसे भी आदरपूर्वक भोजन कराएं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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