
First Solar eclipse 2025 date : साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगेगा. हालांकि, यह ग्रहण पूर्ण नहीं, बल्कि आंशिक होगा. क्योंकि चंद्रमा की केंद्रीय छाया पृथ्वी (solar eclipse 2025) के दक्षिण से गुजरेगी. यह खगोलीय घटना यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका जैसे कई महाद्वीपों में देखा जा सकेगा. आपको बता दें कि 29 मार्च को लगने वाले सूर्य ग्रहण को 94 फीसदी सूर्य ही चंद्रमा को ढक देगा.यह यूटीसी टाइम 8 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक देखा जा सकेगा. वहीं, भारतीय समयानुसार यह आंशिक सूर्य ग्रहण 2 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त.
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टाइम एंड डेटा वेबसाइट के अनुसार आंशिक सूर्य ग्रहण का दीदार 814 मिलियन लोग कर सकेंगे.
आंशिक सूर्य ग्रहण कहां-कहां आएगा नजर 2025 - Where will the partial solar eclipse be visible in 2025
उत्तरी-पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के उत्तर पूर्वी भाग, यूरोप और उत्तरी रूस से दिखाई देगा. कनाडा, पुर्तगाल, स्पेन, आयरलैंड, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, डेनमार्क, जर्मनी, नार्वे, फिनलैंड और रूस में दिखाई देगा.
आंशिक सूर्य ग्रहण कहां-कहां नहीं आएगा नजर 2025 - Where partial solar eclipse will not be visible in 2025
लेकिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा. ऐसे में सूतक काल मान्य नहीं होगा.
इसके अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, फिजी, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात में भी देखा नहीं जा सकेगा. वहीं ऑस्ट्रेलिया, और अधिकांश दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के देशों से भी यह ग्रहण नजर नहीं आएगा. वहीं, साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर, 2025 को लगेगा.
आप ग्रहण के दिन या फिर सामान्य दिनों में सूर्य देव मंत्र का जाप कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं...
सूर्य देव के मंत्र - Mantras of Sun God
ॐ घृणि सूर्याय नम:।
बीज मन्त्र - ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रौं स: सूर्याय नम:।
सूर्य गायत्री मंत्र - ॐ आदित्याय विद्महे, प्रभाकराय धीमहि, तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्॥
सूर्य स्मरण मंत्र - Surya Smran Mantra
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मंडलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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