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Navratri 2025: विंध्याचल धाम जिसकी त्रिकोण यात्रा से दूर होते हैं हर दुख, पूरी होती है मनोकामना

Maa Vindhyavasini Temple: भारत में शक्ति की साधना सदियों से होती चली आ रही है. हिंदू मान्यता के अनुसार जिस शक्ति के बगैर शिव और अन्य देवता भी अधूरे हैं, उससे जुड़े विंध्याचल धाम का क्या धार्मिक महत्व है? विंध्य पर्वत पर विराजमान मां विंध्यवासिनी देवी की पूजा का धार्मिक महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

Navratri 2025: विंध्याचल धाम जिसकी त्रिकोण यात्रा से दूर होते हैं हर दुख, पूरी होती है मनोकामना
Maa Vindhyavasini Devi: शक्ति और भक्ति का विंध्याचल धाम

Vindhyavasini Shaktipeeth: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित मां विंध्यवासिनी (Vindhyavasini) का एक ऐसा पावन धाम है, जहां जाने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटता है. मां विन्ध्यवासिनी देवी का मंदिर गंगा के किनारे स्थित है. तंत्र-मंत्र और देवी साधना के लिए प्रसिद्ध इस महाशक्तिपीठ पर चुनावी जीत के लिए जहां राजनेता पहुंचते हैं तो वहीं एक आम आदमी अपनी किस्मत चमकाने की कामना लिए मां विंध्यवासिनी के दरबार में माथा टेकने के लिए पहुंचता है. नवरात्रि के पावन पर्व पर यहां पर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. विंध्य पर्वत पर स्थित इस महाशक्तिपीठ पर देवी के तीन स्वरूपों के दर्शन करने को मिलते हैं. आइए शक्ति के इस त्रिकोण का धार्मिक महत्व जानते हैं.  

नवरात्रि पर जुटते हैं तंत्र-मंत्र के साधक 

हिंदू मान्यता के अनुसार जहां देश के अन्य शक्तिपीठ में देवी के विभिन्न अंग गिरे थे, वहीं विंध्याचल धाम पर मां विंध्यवासिनी अपने पूरे शरीर के साथ विराजमान हैं. मां विंध्वासिनी का सिद्ध शक्तिपीठ दस महाविद्या (Dus Mahavidya) का केंद्र हैं, जहां जाने पर आपको महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कामख्या (Kamakhya) की तरह इस पावन धाम को भी तंत्र की साधना के लिए अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है.

हिंदू मान्यता के अनुसार यह पृथ्वी पर एक मात्र स्थान है, जहां पर तीन शक्तियां अपने साधकों का कल्याण करते हुए उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. तंत्र-मंत्र (Tantra-Mantra) की साधना का सिद्ध क्षेत्र होने के कारण यहां हर साल नवरात्रि के समय में बड़ी संख्या में अघोरी और तंत्र-मंत्र के साधक यहां पर जुटते हैं. 

भक्तगण नंगे पांव करते हैं शक्ति के त्रिकोण की यात्रा 

शक्ति के इस त्रिकोंण में एक ओर जहां मां विंध्यवासिनी का धाम है तो वहीं दूसरी ओर दक्षिण दिशा में मां काली (Goddess Kali) और तीसरी ओर मां अष्टभुजा देवी (Ashtabhuja Devi) सरस्वती के रूप में विराजमान हैं. त्रिकोण यंत्र पर स्थित विंध्याचल धाम एक ऐसा जागृत शक्तिपीठ है, जहां की गई साधना-आराधना कभी बेकार नहीं जाती है.

देवी अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करती हैं. यही कारण है कि यहां हर समय कोई न कोई बड़ा पूजा अनुष्ठान चलता रहता है. शक्ति के साधक कई बार अपनी कामना को पूरा करने के लिए शक्ति के इस त्रिकोण की पैदल यात्रा करते हैं. उनका मानना है कि माता के लिए उनका यह भाव उन्हें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हुए कल्याण का कारक बनता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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