Durga Saptashati: क्या जानते हैं दुर्गा सप्तशती किसने लिखी, जिसका पाठ करने से हर मननोकामना होती है पूरी!

Durga Saptashati: नवरात्रि के दौरान अमूमन हर घर में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती को किसने लिखा.

Durga Saptashati: क्या जानते हैं दुर्गा सप्तशती किसने लिखी, जिसका पाठ करने से हर मननोकामना होती है पूरी!

Durga Saptashati: नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ से विशेष लाभ मिलता है.

खास बातें

  • दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है फलदायी.
  • नवरात्रि में भक्त करते हैं दर्गा सप्तशती का पाठ.
  • दुर्गा सप्तशती में हैं 700 श्लोक.

Who wrote Durga Saptashati: नवरात्रि क दौरान भक्त अलग-अलग तरह से मां दुर्गा की पूजा करते हैं. मां दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए लोग नवरात्रि में अलग-अलग तरह से पाठ करते हैं. नवरात्रि में पाठ करने के लिए दुर्गा सप्तशती को बेहद प्रभावशाली माना गया है. मान्यता यह भी है कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ (Durga Saptashati Path) बेहद शुभ फलदायक होता है. दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं. नवरात्रि के दौरान इसका पाठ करने से धन, यश, अन्न, मान-सम्मा की प्राप्ति होती है. क्या आपको पता है कि दुर्गा सप्तशती को किसने लिखा. आइए जानते हैं दुर्गा सप्तशती के बारे में  जिसके पाठ से भक्तों के बिगड़े काम बन जाते हैं. 

दुर्गा सप्तशती किसने लिखी | Who wrote Durga Saptashati

दुर्गा सप्तशती मार्कंडेय पुराण का एक अहम भाग है. इसमें 700 श्लोक है, जिस कारण इसका नाम दुर्गा सप्तशती दिया गया है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा जी और ऋषि मार्कंडेय के बीच मां दुर्गा पर हुई देवी की महिमा का अंश है. मार्कंडेय पुराण के देवीमाहात्म्य के 700  श्लोकों  को निकालकर दुर्गा सप्तशती की रचना की गई. कुछ लोग दुर्गा सप्तशती के लेखक वेदव्याज जी को मानते हैं. दुर्गा सप्तशती में 3 चरित्र हैं. जिसमें महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती से चरित्र हैं. साथ ही इसमें मां दुर्गा की महिमा के बारे में बताया गया है. 

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दुर्गा सप्तशती से 13 अध्याय में क्या है

1. पहला अध्याय- मधु कैटभ वध
2. दूसरा अध्याय- महिषासुर सेना का वध
3. तीसरा अध्याय- महिषासुर का वध
4. चौथा अध्याय- इंद्र देवता द्वारा देवी की स्तुति
5. पांचवां अध्याय- अंबिका के रुप की प्रशंसा
6. छठा अध्याय- धूम्रलोचन वध
7. सातवां अध्याय- चंड और मुंड का वध
8. आठवां अध्याय- रक्तबीज वध
9. नवां अध्याय- निशुम्भ वध
10.दसवां अध्याय- शुम्भ वध
11. ग्यारहवां अध्याय- देवताओं द्वारा देवी की स्तुति
12. बारहवां अध्याय- देवी चरित्रों के पाठ का माहात्म्य
13.तेरहवां अध्याय- सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान

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दुर्गा सप्तशती पाठ नियम | Durga Saptashati Path Niyam

  • दुर्गा सप्तशती के पाठ को शुरू करने से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र 'ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का पाठ जरूर करें. 
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय तन और मन दोनों ही पवित्र होने चाहिए. ऐसे में पाठ करने  से पूर्व स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें 
  • दुर्गा सप्तशती पाठ के पाठ से पूर्व शापोद्धार करना सबसे जरूरी होता है. दरअसल दुर्गा सप्तशती के हर वशिष्ठ, ब्रह्मा जी और विश्वामित्र द्वारा मंत्र शापित हैं. इसलिए शापोद्धार करना जरूरी होता है.
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हर एक शब्द का सही और स्पष्ट उच्चारण करें. मधुर आवाज में पाठ करना अच्छा माना गया है. एक स्वर और लय से पाठ करें. 
  • बहुत तेज आवाज में दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का पाठ ना करें. 
  • अगर संस्कृत पढ़ने में कठिनाई होती है तो हिंदी में पाठ कर सकते हैं. 
  • दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले नवार्ण मंत्र के अलावा कीलक, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ करना भी जरूरी होता है. 


दुर्गा सप्तशती पाठ का सही समय क्या है | Best Time for Durga Saptashati Path


दुर्गा सप्तशती पाठ करने के लिए सबसे अच्छा ब्रह्म मुहूर्त होता है. राहुकाल में पाठ करना अशुभ माना गया है. ऐसे में दुर्गा सप्तशती के पाठ के लिए राहु काल का त्याग करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि दुर्गा सप्तशती के पाठ और सिद्धियों के लिए बहुत ही अच्छा समय माना जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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