Navratri 2020: आज से शारदीय नवरात्रि(Sharad Navratri) शुरू हो गए हैं. यह 25 अक्टूबर तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा (Maa Durga) के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी. यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, इसलिए यह पूरे भारत वर्ष और विदेशों में भी कुछ जगहों पर यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि (Navratri) के पहले दिन मां शैलपुत्री (Shailputri) की पूजा की जाती है. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है. मां के हर रूप से जुड़ी अलग कथा और अलग मंत्र है. यहां जानें मां दुर्गा के प्रथम यानि शैलपुत्री रूप की पूरी कहानी, मंत्र और पूजा विधि...
मां के शैलपुत्री रूप की पूरी कहानी
मां दुर्गा के पहले स्वरूप को 'शैलपुत्री' के नाम से जाना जाता है. यह नवरात्रि में पूजी जाने वाली सबसे पहली माता हैं. इनके नाम को लेकर मान्यता है कि शैल का अर्थ होता है पर्वत. पर्वतों के राजा हिमालय के घर में पुत्री के रूप में यह जन्मी थीं, इसीलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. इन माता के हाथ के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता है.
देवी शैलपुत्री की उत्पत्ति की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अपने पूर्वजन्म में देवी शैलपुत्री प्रजापति दक्षराज की कन्या थीं और तब उनका नाम सती था. आदिशक्ति देवी सती का विवाह भगवान शंकर से हुआ था. एक बार दक्षराज ने विशाल यज्ञ आयोजित किया, जिसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन शंकरजी को नहीं बुलाया गया. रोष से भरी सती जब अपने पिता के यज्ञ में गईं तो दक्षराज ने भगवान शंकर के विरुद्ध कई अपशब्द कहे. देवी सती अपने पति भगवान शंकर का अपमान सहन नहीं कर सकीं. उन्होंने वहीं यज्ञ की वेदी में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए. अगले जन्म में देवी सती शैलराज हिमालय की पुत्री बनीं और शैलपुत्री के नाम से जानी गईं. जगत-कल्याण के लिए इस जन्म में भी उनका विवाह भगवान शंकर से ही हुआ. पार्वती और हेमवती उनके ही अन्य नाम हैं.
Navratri 2020: नवरात्रि के मौके पर इन मैसेजेस से अपने दोस्तों, करीबियों को भेजें शुभकामनाएं
देवी शैलपुत्री की आराधना के प्रभावशाली मंत्र
दुर्गा के पहले रूप शैलपुत्री की शक्तियां अपरम्पार हैं. यहां पढ़ें उनका मंत्र:
वंदे वांछितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम् ॥
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता ॥
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् ।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥
Navratri 2020: नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए मंत्र और उनसे जुड़ी कथा
कैसे करें शैलपुत्री की पूजा
- नवरात्रि के पहले दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
- शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने के साथ व्रत का संकल्प लिया जाता है.
- कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री का ध्यान करें.
- मां शैलपुत्री को घी अर्पित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से आरोग्य मिलता है.
- नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री का ध्यान मंत्र पढ़ने के बाद स्तोत्र पाठ और कवच पढ़ना चाहिए.
- शाम के समय मां शैलपुत्री की आरती कर प्रसाद बांटें.
- फिर अपना व्रत खोले
Navratri Shailputri Puja 2020: नवरात्रि के पहले दिन मां शौलपुत्री की कैसे करें पूजा? यहां जानें
मां शैलपुत्री स्तोत्र पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहिभवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्यदायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहिमहामोह: विनाशिन।
मुक्तिभुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥
शैलपुत्री कवच
ओमकार: मेंशिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
श्रींकारपातुवदने लावाण्या महेश्वरी ।
हुंकार पातु हदयं तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पात सर्वागे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥
नवरात्रि से जुड़ी बाकी खबरें
जानिए क्या हैं कुट्टू के आटे के फायदे, नवरात्रि में इस बार बनाएं ये पांच बेहतरीन व्यंजन
Navratri 2020: नवरात्रि व्रत के दौरान हाइड्रेट और हेल्दी रहने के लिए, इन 4 ड्रिंक्स का करें सेवन
Navratri 2020: इस बार नवरात्रि में नही होगा गरबा, सरकार ने जारी की गाइडलाइंस
अगर व्रत में खाना चाहते हैं कुछ मजेदार तो ट्राई करें व्रत स्पेशल साबुदाना भेल
Navratri 2020: कल से नवरात्रि शुरू, यहां जानें पूजा सामग्री और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं