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This Article is From May 24, 2024

Narad Jayanti 2024: आज है नारद जयंती, जानें शुभ मुहूर्त महत्व और पूजा विधि

Narad Jayanti 2024 Shubh Muhurat : भगवान विष्णु के परम भक्तों में से एक नारद जी को समर्पित नारद जयंती आज मनाई जा रही है. जानिए इसका महत्व.

Narad Jayanti 2024: आज है नारद जयंती, जानें शुभ मुहूर्त महत्व और पूजा विधि
Narad Jayanti 2024 kab hai : नारद जयंंती का ये है शुभ मुहूर्त.

Narad Jayanti 2024: हिंदू धर्म में हर देवी देवताओं को समर्पित एक जयंती होती है, जिसका खास महत्व होता है. इसी तरह से विष्णु भगवान के परम भक्त नारद जी ( Narad ji) की जयंती हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. इस बार नारद जयंती कब मनाई जाएगी, इसका महत्व क्या है और इस दिन आपको कैसे पूजा ( Narad jayanti Puja vidhi ) करनी चाहिए आइए हम आपको बताते हैं. कहा जाता है कि नारद जयंती पर विधिवत नारद जी की पूजा करने से बल बुद्धि की प्राप्ति होती है, क्योंकि उन्हें ब्रह्मर्षि कहा जाता है. ऐसा कहते हैं कि नारद जी ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे.

आज है सीता नवमी, जानिए जनक नंदिनी की पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे मेंकबमनाई जाएगी नारद जयंती 2024


हर साल ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है, जो इस बार 24 मई 2024 को मनाई जाएगी. इसकी शुरुआत 23 मई को शाम 7:22 पर होगी, वहीं इसका समापन 24 मई को शाम 7:24 पर होगा, यानी कि उदया तिथि के अनुसार 24 मई को ही नारद जयंती मनाई जाएगी. कहते हैं इसी दिन नारद जी का जन्म हुआ था.

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नारदजयंती 2024 पूजा विधि


अब बात आती है कि नारद जयंती के दिन क्या खास होता है? तो कर्नाटक के प्रसिद्ध नारद जी के मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके अलावा स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थानों में तरह-तरह के आयोजन होते हैं. कहते हैं कि नारद जयंती पर विधिवत नारद जी की पूजा करने से विष्णु भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं. इस दिन ब्राह्मणों को दान देने का भी विशेष महत्व होता है. नारद जयंती के दिन आप सुबह उठकर स्नान करें, नारद जी की प्रतिमा स्थापित कर उनकी विधिवत पूजा करें, इसके अलावा विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करने के साथ उन्हें जल अर्पित करें, भोग चढ़ाएं और सच्चे मन से उनकी आराधना करें.

नारद जयंती का महत्व


हिंदू धर्म में नारद जयंती बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. कहते हैं कि कठोर तपस्या के बाद ही नारद जी को ब्रह्मर्षि की पदवी प्राप्त हुई थी. नारद जी की पूजा अर्चना करने से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है, इसके अलावा भगवान विष्णु की कृपा भी साधकों पर हमेशा बनी रहती हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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