Nag Panchami 2020: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के समान उनके प्रतीकों और वाहनों की भी पूजा-अर्चना की जाती है और इसको भी एक परंपरा भांति निभाया जाता है. देवी-देवताओं के ये प्रतीक और वाहन भी प्रकृति के अभिन्न हिस्सा हैं. इसमें जानवर, पक्षी, सरीसृप, फूल और वृक्ष शामिल है. नाग पंचमी (Nag Panchami) भी इसी तरह का त्योहार है, जो हर साल मनाया जाता है. इस दिन मुख्य रूप से सांप या फिर नाग की देवता भांति पूजा-अर्चना की जाती है. नाग पंचमी के मौके पर लोग दिन भर व्रत रखते हैं और सांपों की पूजा करते हैं और उन्हें दूध पिलाते हैं. ना पंचमी का व्रत बेहद फलदायी और शुभ माना जाता है.
नाग पंचमी कब है?
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नाग पंचमी का त्योहार श्रावण या फिर सावन मास के शुक्ल पक्ष की चंमी तिथि को मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नागपंचमी का त्योहार हर साल जुलाई या अगस्त के महीने में मनाया जाता है. इस साल नाग पंचमी का त्योहार 25 जुलाई 2020 को मनाया जा रहा है. इस साल नाग पंचमी शनिवार को मनाई जा रही है.
नाग पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी की तिथि: 24 जुलाई 2020
नाग पंचमी तिथि प्रारंभ: 24 जुलाई 2020 को दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से.
नाग पंचमी तिथि समाप्त: 25 अगस्त 2020 को दोपहर 12 बजकर 02 मिनट तक.
नाग पंचमी की पूजा का मुहूर्त: 25 जुलाई 2020 को सुबह 05 बजकर 39 मिनट से सुबह 08 बजकर 22 मिनट तक.
नाग पंचमी का महत्व
हिंदु धर्म में नाग को देवता का रूप माना जाता है और उनकी पूजा का विधान है. दरअसल, नाग को आदि देव भगवान शिव शंकर के गले का हार और सृष्टि के पालनकर्ता हरि विष्णु की शैय्या माना जाता है. इसके अलावा नागों का लोगों के जीवन से भी नाता है. सावन के महीने में हमेशा जमकर बारिश होती है और इस वजह से नाग जमीन से निकलकर बाहर आ जाते हैं. माना जाता है कि नाग देवता को दूध पिलाया जाए और उनकी पूजा की जाए तो वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. यही नहीं कुंडली दोष दूर करने के लिए भी नाग पंचमी का अत्यधिक महत्व है.
नाग पंचमी की पूजा विधि
- सुबह स्नान करने के बाद घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाएं.
- मन में व्रत का सकंल्प लें.
- नाग देवता का आह्वान कर उन्हें बैठने के लिए आसन दें.
- फिर जल, पुष्प और चंदन का अर्घ्य दें.
- दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर नाग प्रतिमा को स्नान कराएं.
- इसके बाद प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढ़ाना चाहिए.
- फिर लड्डू और मालपुए का भोग लगाएं.
- फिर सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप-दीप, ऋतु फल और पान का पत्ता चढ़ाने के बाद आरती करें
- माना जाता है कि नाग देवता को सुगंध अति प्रिय है. इस दिन नाग देव की पूजा सुगंधित पुष्प और चंदन से करनी चाहिए.
- नाग पंचमी की पूजा का मंत्र इस प्रकार है: "ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा"!!
- शाम के समय नाग देवता की फोटो या प्रतिमा की पूजा कर व्रत तोड़ें और फलाहार ग्रहण करें.
नाग पंचमी की कथा
लोक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण के मामा ने उन्हें मारने के लिए कालिया नाम का नाग भेजा था. एक दिन जब कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई था. जब वे उसे लाने के लिए नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया था लेकिन श्री कृष्ण के आगे नाग की एक न चली. उसने भगवान कृष्ण से माफी मांगते हुए वचन दिया कि वो गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा और वहां से हमेशा-हमेशा के लिए चला जाएगा. कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है.
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