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This Article is From May 19, 2021

Mohini Ekadashi 2021: कब है मोहिनी एकादशी? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Mohini Ekadashi 2021 Date: हिन्‍दू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं. इस बार मोहिनी एकादशी 22 मई 2021 को है.

Mohini Ekadashi 2021: कब है मोहिनी एकादशी? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Mohini Ekadashi 2021: मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त.
नई दिल्ली:

Mohini Ekadashi 2021 Date: हिन्‍दू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं. हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी का विशेष महत्‍व बताया गया है. वैशाख महीने में आने वाली मोहिनी एकादशी को पुराणों में बेहद पावन माना गया है. मान्‍यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत बेहद फलदायी होता है. यह भी माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है. मान्यता है कि इस एकादशी को व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है. इस बार मोहिनी एकादशी 22 मई 2021 को है.

मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

- मोहिनी एकादशी 22 मई शनिवार को है

- पारण का समय या एकादशी व्रत तोड़ने का समय : दोपहर 1:40 बजे से शाम 4:25 बजे के बीच

- एकादशी तिथि की शुरुआत : 22 मई को सुबह 9:15 बजे शुरू 

- एकादशी तिथि समाप्त : 23 मई को सुबह 6:42 बजे

- पारण का समय : 24 मई को सुबह 5:26 बजे से 8:11 बजे के बीच

मोहिनी एकादशी पर इस विधि से करें पूजा
- मोहिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें. 
- इसके बाद स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें व्रत का संकल्‍प लें. 
- अब घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं. 
- इसके बाद विष्‍णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं. 
- विष्‍णु की पूजा करते वक्‍त तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें. 
- इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें. 
- अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें. 
- एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं. 

मोहिनी एकादशी के दिन इन नियमों का पालन करें
- एकादशी से एक दिन पूर्व ही व्रत के नियमों का पालन करें. 
- व्रत के दिन निर्जला व्रत करें. 
- शाम के समय तुलसी के पास गाय के घी का एक दीपक जलाएं .
- रात के समय सोना नहीं चाहिए. भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए. 
- अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें. 
- इसके बाद अन्‍न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें.

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