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This Article is From Jan 28, 2016

मिशन ग्रीन सबरीमाला तीर्थ: एक मिथक है पंबा नदी में उतरन और वस्त्र फेंकने की परंपरा

मिशन ग्रीन सबरीमाला तीर्थ: एक मिथक है पंबा नदी में उतरन और वस्त्र फेंकने की परंपरा
फाईल फोटो
खबर है कि सबरीमाला मंदिर आने वाले दो लाख श्रद्धालुओं ने 'मिशन ग्रीन सबरीमाला' के तहत शपथ ली है कि वे पंबा नदी में वस्त्र फेंकने की परंपरा को त्याग कर नदी को साफ रखेंगे। इसके लिए उन लोगों ने बाकायदा हस्ताक्षर किए हैं।

मंदिर सहित जिले के अधिकारियों और कार्यकर्ताओं का लक्ष्य है कि इस काम के लिए इतने दस्तखत इकट्ठा करें कि यह एक विश्व कीर्तिमान बन सके।

श्रद्धालु ले रहे हैं छह भाषाओं में शपथ

पंबा नदी में उतरन, वस्त्र और गंदगी न फेंकने की शपथ छह भाषाओं, हिंदी, अंग्रेजी, मलयालम, कन्नड़, तमिल और तेलुगू भाषा में ली जा रही है। इसमें कहा गया है: "मैं पंबा नदी में वस्त्र नहीं फेंकूंगा। मैं इसे कूड़े के साथ निपटाऊंगा।"

पथानमथिट्टा के जिला अधिकारी एस. हरिकिशोर ने कहा, "सभी श्रद्धालु पंबा नदी में स्नान करने आते हैं। इसलिए हमारे लिए यह अनिवार्य है कि हम इसे स्वच्छ रखें।"

एक मिथक है कपड़े को नदी में छोड़ देना

उन्होंने कहा, "यह एक मिथक है कि नदी में डुबकी लगाने के बाद कपड़े को नदी में छोड़ देना चाहिए। ये सच नहीं है। हम रोजाना 10 कालेज छात्रों की सेवा ले रहे हैं। वे श्रद्धालुओं से अनुरोध करते हैं कि वे वस्त्र नहीं फेंकने की शपथ लें और चित्रपट (कैनवस) पर इससे संबंधित दस्तखत करें।"

गौरतलब है कि हर व्यक्ति जो सबरीमाला आता है, अपने पीछे 250 ग्राम प्लास्टिक छोड़कर जाता है। बीते साल 8750 टन प्लास्टिक और इससे बनी चीजें इकट्ठा की गई थीं। इसकी वजह से मंदिर, पंबा नदी और आसपास के वातावरण को गंभीर पर्यावरणीय खतरे का सामना करना पड़ रहा है।

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