Curtains In Mandir: घर का पूजा घर हो या फिर मंदिर, भगवान की पूजा के खास नियम होते हैं. पूजा का एक समय तय होता है जिस दौरान विधि विधान से देवी देवताओं की आराधना की जाती है. इसके साथ ही अक्सर आपने देखा होगा की पूजा के बाद एक वक्त ऐसा भी होता है जब मंदिर में पर्दा लगा दिया जाता है. मंदिर में रोज सुबह और शाम की पूजा के बाद पट बंद कर दिए जाते हैं और रात के वक्त पर्दा डाल दिया जाता है. अक्सर लोग इस बात को लेकर संशय में रहते हैं कि रात के वक्त मंदिर में पर्दा क्यों डाल दिया जाता है. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि रात के वक्त मंदिर में पर्दा क्यों डाला जाता है.
मंदिर में पर्दा डालना क्यों है जरूरी
शास्त्रों में कहा गया है कि जिस तरह धरती पर सुबह शाम और रात होती है, उसी प्रकार भगवान पहर के अनुसार दिन में भ्रमण और रात में विश्राम करते हैं. चूंकि रात का वक्त भगवान के विश्राम का होता है, इसलिए मंदिर और पूजा घर में रात को वक्त पर्दा डाल दिया जाता है. रात के वक्त भगवान के विश्राम में बाधा ना पड़े, इसलिए या तो मूर्तियों को ढक दिया जाता है या फिर उनके द्वार पर पर्दा डाल दिया जाता है. रात के वक्त आप मंदिर की तेज जलने वाली लाइट्स बंद कर सकते हैं. आप चाहें तो एक बिलकुल मद्यम रोशनी वाली लाइट जलने दें और मंदिर का पर्दा डाल दें.
मंदिर का पर्दा खोलने के नियम
मंदिर का पर्दा रात भर पड़ा रहने के बाद सुबह उठकर खोला जाता है लेकिन इसके भी कुछ नियम हैं. सुबह घर के सदस्यों को स्नान आदि करने के बाद शुद्ध होकर ही मंदिर का पर्दा उठाना चाहिए. मंदिर का पर्दा उठाकर भगवान को स्नान आदि करवा कर पूजा करनी चाहिए.आपको बता दें कि मंदिर के पर्दे बहुत ज्यादा गहरे रंग के नहीं होने चाहिए. आप मंदिर का पर्दा, हल्का पीला, क्रीम रंग का, गुलाबी या हल्का लाल रखना चाहिए. नीला, काला, बैंगनी रंग का पर्दा मंदिर के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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