विज्ञापन
This Article is From May 21, 2018

मलमास 2018: बिहार के इस शहर में रहने आतें हैं 33 करोड़ देवी-देवता, होती हैं मनोकामनाएं पूरी

बिहार के राजगीर में विश्‍व प्रसिद्ध मलमास मेला लगता है. इस दौरान यहां 33 करोड़ देवी-देवता रहने आते हैं. मान्‍यता है कि मलमास में यहां विष्‍णु जी की पूजा करने से भक्‍तों के सभी पाप नष्‍ट हो जाते हैं.

मलमास 2018: बिहार के इस शहर में रहने आतें हैं 33 करोड़ देवी-देवता, होती हैं मनोकामनाएं पूरी
मलमास मेले के दौरान विष्‍णु पूजा का बड़ा महत्‍व है (फोटो: आईएएनएस)
राजगीर: मलमास (अधिमास) में सभी शुभ कामों पर रोक लगी रहती है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दौरान सभी 33 करोड़ देवी-देवता बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में रहते हैं. मान्यता है कि यहां विधि-विधान से भगवान विष्णु (भगवान शालीग्राम) की पूजा करने से लोगों को सभी पापों से छुटकारा मिलता है. यही कारण है कि अधिमास में यहां ब्रह्म कुंड पर साधु-संतों समेत पर्यटकों की भारी भीड़ लगी रहती है. 

बिहार में मलमास मेला शुरू, मिला राजकीय दर्जा

तीन सालों में एक बार लगने वाला मलमास मेला इस साल 16 मई से शुरू हुआ है. मलमास के दौरान राजगीर में एक महीने तक विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है, जिसमें देशभर के साधु-संत पहुंचते हैं. इस साल मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 मई को किया है. 

राजगीर की पंडा समिति के धीरेंद्र उपाध्याय के मुताबिक इस एक महीने में राजगीर में काला काग को छोड़कर हिंदुओं के सभी 33 करोड़ देवता राजगीर में प्रवास करते हैं. प्राचीन मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्म कुंड परिसर में एक यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया था और वे यहां पधारे भी थे, लेकिन काले काग (कौआ) को निमंत्रण नहीं दिया गया था.

जनश्रुतियों के मुताबिक, इस एक महीने के दौरान राजगीर में काला काग कहीं नहीं दिखते. इस क्रम में आए सभी देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्‍नान करने में परेशानी हुई थी, तभी ब्रह्मा ने यहां 22 कुंड और 52 जलधाराओं का निर्माण किया था.

इस ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी में कई युगपुरुष, संत और महात्माओं ने अपनी तपस्थली और ज्ञानस्थली बनाई है. इस कारण मलमास के दौरान यहां लाखों साधु-संत पधारते हैं. मलमास के पहले दिन हजारों श्रद्धालु राजगीर के गर्म कुंड में डुबकी लगाते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं.

राजगीर कुंड के पुजारी बलबीर उपाध्याय बताते हैं कि मलमास के दौरान राजगीर छोड़कर दूसरे स्थान पर पूजा-पाठ करने वाले लोगों को किसी तरह के फल की प्राप्ति नहीं होती है, क्योंकि सभी देवी-देवता राजगीर में रहते हैं.

पंडित प्रेम सागर बताते हैं कि जब दो अमावस्या के बीच सूर्य की संक्रांति अर्थात सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश नहीं करते हैं तो मलमास होता है. मलमास वाले साल में 12 नहीं, बल्कि 13 महीने होते हैं. इसे अधिमास, अधिकमास, पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं. इस महीने में जो मनुष्य राजगीर में स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके सभी पाप कट जाते हैं और वह स्वर्ग में वास का भागी बनता है. 

धीरेंद्र उपाध्याय कहते हैं कि 'ऐतरेय बाह्मण' में यह मास अपवित्र माना गया है और 'अग्निपुराण' के अनुसार इस अवधि में मूर्ति पूजा-प्रतिष्ठा, यज्ञदान, व्रत, वेदपाठ, उपनयन, नामकरण आदि वर्जित हैं. इस अवधि में राजगीर सर्वाधिक पवित्र माना जाता है.

गौरतलब है कि राजगीर न केवल हिंदुओं के लिए धार्मिक स्थली है, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म के श्रद्धालुओं के लिए भी पावन स्थल है.

इस साल 13 जून तक मलमास रहेगा. इधर, पूरे मास लगने वाले मलमास मेले में आने वाले सैलानियों के स्वागत में भगवान ब्रह्मा द्वारा बसाई गई नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है.

पर्यटन विभाग से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी समेत स्थानीय लोग आने वाले लोगों को कोई परेशानी नहीं हो इसका खास ख्याल रख रहे हैं. तकरीबन तीन साल पर लगने वाले इस मेले की प्रतीक्षा जितनी सैलानियों को होती है, उससे कहीं ज्‍यादा सड़क किनारे और फुटपाथों पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों को भी इंतजार रहता है. इस साल मलमास मेले में सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. 

इनपुट: आईएएनएस

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com