
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2020) हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है. भारत के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इसे मनाने का तरीका भी एक-दूसरे से अलग है. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इसे 'खिचड़ी' (Khichdi) कहते हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है. पंरपराओं के मुताबिक इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इसी के साथ सभी शुभ काम शुरू हो जाते हैं. इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी के बजाए 15 जनवरी को है. यहां जानिए किस राज्य में कैसे मनाया जाता है खिचड़ी का त्योहार...
बता दें, ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा का प्रतीक चावल को माना जाता है, काली उड़द की दाल को शनि का और हरी सब्जियां बुध का प्रतीक होती है. कुंडली में ग्रहों की स्थिती को मजबूत करने के लिए मकर संक्रांति पर खिचड़ी खानी जाती है.
खिचड़ी खाने के इन फायदों के बारे में नहीं जानते होंगे आप...
उत्तर प्रदेश
उत्तर पदेश में मकर संक्रांति को 'खिचड़ी' (Khichdi) भी कहा जाता है. इस दिन तीर्थ स्थानों विशेषकर बनारस और इलाहाबाद के घाटों में स्नान कर सूर्य की पूजा की जाती है. जो लोग घाट नहीं जा पाते हैं वे लोग घर पर ही स्नान करते हैं. इस दिन नहाना बहुत जरूरी माना जाता है. नहाने के बद तिल और गुड़ का प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इस दिन चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है.
Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति पर क्यों खाया जाता है तिल, क्या है इसे दान करने का महत्व?
बिहार और झारखंड
बिहार और झारखंड में 14 जनवरी को 'सक्रात' या 'खिचड़ी' के रूप में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. बाकि राज्यों की तरह यहां भी स्नान कर सूर्य की उपासना की जाती है. साथ ही दही-चूड़ा, तिल-गुड़ से बने खाद्य पदार्थों और मौसमी सब्जियों का नाश्ता किया जाता है. वहीं अगले दिन यानी कि 15 जनवरी को मक्रात मनाई जाती है. मक्रात के दिन दाल-चावल, गोभी, मटर और आलू से बनी खिचड़ी खाई जाती है.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मकर संक्रांति के दिन बिहार और उत्तर प्रदेश की ही तरह खिचड़ी और तिल के लड्डू खाने की परंपरा है. यहां के लोग इस दिन गुजिया भी बनाते हैं.
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