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This Article is From Feb 21, 2020

Mahashivratri 2020: भारत में हैं 12 ज्‍योतिर्लिंग, जानिए इनके बारे में ये बातें

Shivratri 2020: मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्‍पन्न हुए थे. हालांकि 64 में से केवल 12 ज्‍योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) के बारे में जानकारी उपलब्‍ध है.

Mahashivratri 2020: भारत में हैं 12 ज्‍योतिर्लिंग, जानिए इनके बारे में ये बातें
Shivratri 2020: पहला सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है जो गुजरात में विराजमान है.
नई दिल्ली:

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) को लेकर कई मान्‍यताएं हैं. इनमें से जो सबसे प्रचलित मान्‍यता है वो ये है कि इसी दिन भगवान शिव शंकर का प्राकट्य हुआ था, जिसका न आदि था और न अंत. एक अन्‍य पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्‍पन्न हुए थे. हालांकि 64 में से केवल 12 ज्‍योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) के बारे में जानकारी उपलब्‍ध है. इन्‍हें 12 ज्‍योतिर्लिंगों (12 Jyotirlinga) के नाम से जाना जाता है. मान्‍यता है कि जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से इन ज्योतिर्लिंगों का नाम जपता है उसके सभी पाप नष्‍ट हो जाते हैं. कहते हैं कि इन लिंगों के दर्शन मात्र से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और व्‍यक्ति जन्‍म-जन्‍मांतरण के बंधन से मुक्‍त हो जाता है. संक्षिप्‍त में जानिए इन सभी 12 ज्‍योतिर्लिंगों के बारे में:

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1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
 पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के सौराष्ट्र नगर में अरब सागर के तट स्थित है और यह सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है. इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि यह हर सृष्टि में यहां स्थित रहा है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में माना जाता है कि चन्द्रमा यानी सोम को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग होने का शाप दे दिया. इस शाप से मुक्ति के लिए शिव भक्त चन्द्रमा ने अरब सागर के तट पर शिव जी की तपस्या की. इससे प्रसन्न होकर शिव प्रकट हुए और चन्द्रमा को वरदान दिया. चन्द्रमा ने जिस शिवलिंग की स्थापना और पूजा की वह शिव जी के आशीर्वाद से सोमेश्वर यानी सोमनाथ कहलाया.

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं. इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं. मान्‍यता है कि इस ज्‍योतिर्लिंग की पूजा करने से अश्वमेध यज्ञ जितना फल प्राप्त होता है और सभी प्रकार के कष्ट मिट जाते हैं. 

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
तीसरा ज्योतिर्लिंग महाकाल मध्य प्रदेश के उज्जैन में है. यह ज्‍योतिर्लिंग 'महाकालेश्वर' के नाम से प्रसिद्ध है. खास बात यह है कि सभी प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र महाकालेश्वर ही दक्षिणमुखी हैं अर्थात इनका मुख दक्षिण की ओर है. धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार दक्षिण दिशा के स्वामी स्वयं भगवान यमराज हैं. ऐसे में मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से भगवान महाकालेश्वर के दर्शन और पूजन करता है उसे मृत्यु के बाद यमराज द्वारा दी जाने वाली यातनाओं से मुक्ति मिल जाती है.

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है. इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है. यह मध्‍य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है. मान्‍यता है कि सभी तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं तभी उनके सारे तीर्थ पूरे माने जाते हैं. अन्‍यथा तीर्थ अधूरे रह जाते हैं. 

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की चोटी पर विराजमान है. श्री केदारनाथ को ‘केदारेश्वर' भी कहा जाता है. यहां से पूर्वी दिशा में श्री बद्री विशाल का मंदिर है.  मान्‍यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्‍फल है. 

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6. भीमशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्‍ट्र के डाकिनी में स्थित है. डाकिनी मुंबई से पूर्व और पूना से उत्तर की दिशा में पड़ता है. भीमशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटोश्‍वर महादेव के नाम से जाना जाता है. मान्‍यता है कि इस ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही सभी दुखों से छुटकारा मिल जाता है. 

7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के काशी नगर में विद्यमान है है.  इसे सप्‍तम ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है. माना जाता है कि भगवान शिव इस 'ज्योतिर्लिंग' में स्‍वयं वास करते हैं. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार विश्वनाथ ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन से मनुष्य परम ज्योति को पा लेता है. कहते हैं कि जितना पुण्‍य सभी लिंगों के दर्शन पाकर मिलता है उतना केवल एक ही बार 'विश्वनाथ' के दर्शन-पूजन से मिल जाता है. माना जाता है कि सैकड़ों जन्मों के पुण्य के ही फल से विश्वनाथजी के दर्शन का अवसर मिलता है.

8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्‍ट्र के नासिक जिले में पंचवटी से 28 किलोमीटर दूर है. त्र्यंबकेश्वर मंदिर बहुत ही प्राचीन है. मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग .। ये तीन शिवलिंग ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाने जाते हैं. शिवपुराण में वर्णन हैं कि गौतम ऋषि तथा गोदावरी और सभी देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने निश्चय किया और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए.

9.  वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य के संथाल परगना में स्थित है. श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मंदिर जिस स्थान पर है, उसे 'वैद्यनाथधाम' कहा जाता है. इस ज्‍योतिर्लिंग को मनोकामना  लिंग भी कहा जाता है.

10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है. इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है. 

11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वर में विराजमान है. इसे दशम ज्‍योतिर्लिंग भी कहते हैं. 

12. घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
 घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर दूर बेरूलठ गांव के पास है. इस ज्‍योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर और घृष्णेश्वर भी कहते हैं.

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