Mahalaya 2018: मान्यता है कि महालया अमावस्या के दिन पितर धरती से विदा लेते हैं
नई दिल्ली:
आज महालया अमावस्या (Mahalaya Amavasya) है. नवरात्रि (Navaratri) से ठीक पहले जो अमावस्या आती है उसे महालया अमावस्या कहा जाता है. इसे सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है. जहां पितृ पक्ष की शुरुआत होने पर पितर धरती पर आते हैं वहीं महालया अमावस्या या सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण कर उन्हें धरती से विदा किया जाता है. इस बार 8 और 9 अक्टूबर दोनों दिन अमावस्या है. ऐसे में महालया भी दोनों दिन मनाया जाएगा. आपको बता दें कि महालया बंगालियों का त्योहार है. इस दिन से मां दुर्गा की पूजा की शुरुआत होती है. वहीं, इस अमावस्या के साथ ही पितृ पक्ष (Pitru Paksha) समाप्त हो जाता है. इस दिन ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने की भी परंपरा है.
जानिए पितृ पक्ष का महत्व और कथा
महालाया का महत्व?
बंगाल के लोगों के लिए महालया पर्व का विशेष महत्व है. मां दुर्गा में आस्था रखने वाले लोग साल भर इस दिन का इंतजार करते हैं. महालया से ही दुर्गा पूजा की शुरुआत मानी जाती है. यह नवरात्रि और दुर्गा पूजा की के शुरुआत का प्रतीक है.
मान्यता है कि महिषासुर नाम के राक्षस के सर्वनाश के लिए महालया के दिन मां दुर्गा का आह्वान किया गया था. कहा जाता है कि महलाया अमावस्या की सुबह सबसे पहले पितरों को विदाई दी जाती है. फिर शाम को मां दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वी लोक आती हैं और पूरे नौ दिनों तक यहां रहकर धरतीवासियों पर अपनी कृपा का अमृत बरसाती हैं.
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
सर्व पिृत अमावस्या या महालया अमावस्या पितृ पक्ष का आखिरी दिन है. इस दिन सभी पितरों को याद कर उन्हें तर्पण दिया जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों को तर्पण देने की परंपरा है. कई लोग घर पर किसी ब्राह्मण को बुलाकर उसे भोज कराते हैं और दक्षिणा देते हैं. अगर संभव हो तो गरीबों में आज के दिन खाना, वस्त्र और दवाइयों का वितरण करें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वह खुशी-खुशी विदा होते हैं. वहीं जिन पितरों के मरने की तिथि याद न हो या पता न हो तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है.
सर्व पितृ अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ: 08 अक्टूबर 2018 को सुबह 11 बजकर 31 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 09 अक्टूबर 2018 को सुबह 09 बजकर 16 मिनट तक.
कुतुप मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक.
रोहिण मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से 1 बजकर 17 मिनट तक.
अपराह्न काल: दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से दोपहर 03 बजकर 36 मिनट तक.
जानिए पितृ पक्ष का महत्व और कथा
महालाया का महत्व?
बंगाल के लोगों के लिए महालया पर्व का विशेष महत्व है. मां दुर्गा में आस्था रखने वाले लोग साल भर इस दिन का इंतजार करते हैं. महालया से ही दुर्गा पूजा की शुरुआत मानी जाती है. यह नवरात्रि और दुर्गा पूजा की के शुरुआत का प्रतीक है.
मान्यता है कि महिषासुर नाम के राक्षस के सर्वनाश के लिए महालया के दिन मां दुर्गा का आह्वान किया गया था. कहा जाता है कि महलाया अमावस्या की सुबह सबसे पहले पितरों को विदाई दी जाती है. फिर शाम को मां दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वी लोक आती हैं और पूरे नौ दिनों तक यहां रहकर धरतीवासियों पर अपनी कृपा का अमृत बरसाती हैं.
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
सर्व पिृत अमावस्या या महालया अमावस्या पितृ पक्ष का आखिरी दिन है. इस दिन सभी पितरों को याद कर उन्हें तर्पण दिया जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों को तर्पण देने की परंपरा है. कई लोग घर पर किसी ब्राह्मण को बुलाकर उसे भोज कराते हैं और दक्षिणा देते हैं. अगर संभव हो तो गरीबों में आज के दिन खाना, वस्त्र और दवाइयों का वितरण करें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वह खुशी-खुशी विदा होते हैं. वहीं जिन पितरों के मरने की तिथि याद न हो या पता न हो तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है.
सर्व पितृ अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ: 08 अक्टूबर 2018 को सुबह 11 बजकर 31 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 09 अक्टूबर 2018 को सुबह 09 बजकर 16 मिनट तक.
कुतुप मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक.
रोहिण मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से 1 बजकर 17 मिनट तक.
अपराह्न काल: दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से दोपहर 03 बजकर 36 मिनट तक.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं