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This Article is From Apr 17, 2024

आज नवमी के मौके पर इस समय करें कन्यापूजन, जानें शुभ मुहूर्त और नवमी पूजा विधि 

चैत्र नवरात्रि के नौवे दिन को नवमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. इसके साथ ही, घरों में कन्यापूजन करके कंजक खिलाई जाती है. 

आज नवमी के मौके पर इस समय करें कन्यापूजन, जानें शुभ मुहूर्त और नवमी पूजा विधि 
नवमी के दिन कंजक खिलाने का शुभ मुहूर्त जानें यहां. 

Maha Navami 2024: नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है. माना जाता है कि नवरात्रि की पूजा करने पर घर-परिवार पर मां दुर्गा अपनी कृपा बनाए रखती हैं और खुशहाली का आशीर्वाद देती हैं. चैत्र नवरात्रि का नौवा दिन आज 17 अप्रैल, बुधवार के दिन है जिसे नवमी, महानवमी और रामनवमी जैसे नामों से भी जाना जाता है. नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री (Ma Siddhidatri) की पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने के साथ ही इस दिन घर में कंजक बैठाई जाती है और कन्यापूजन (Kanyapujan) करके कन्याओं को हलवा, पूरी और चना आदि पकवान में खिलाए जाते हैं. जानिए कन्यापूजन करने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि यहां. 

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नवमी पर कन्यापूजन का शुभ मुहूर्त | Kanya Pujan Shubh Muhurt On Navami 

चैत्र नवरात्रि की महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 34 मिनट से दोपहर 3 बजकर 24 मिनट तक है. इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम 6 बजकर 47 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. 

नवमी के दिन कन्यापूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहने वाला है. 

कन्यापूजन करने से पहले सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और माता रानी की पूजा करके उन्हें भोग लगाया जाता है. कंजक (Kanjak) में खिलाए जाने वाले पकवानों का भी माता के समक्ष भोग लगाया जाता है. इसके बाद कन्यापूजन के लिए घर को साफ किया जाता है. 

कन्य़ाओं को घर में आमंत्रित किया जाता है. कंजक खिलाने के लिए 9 कन्याएं बैठाई जाती है. कन्याओं के पैर धोकर पोंछे जाते हैं. इन कन्याओं को साफ जगह लाइन से बैठाया जाता है. इसके बाद कन्याओं को कलावा बांधकर तिलक किया जाता है. अब सभी के समक्ष एक-एक प्लेट रखी जाती है जिसमें पकवान परोसे जाते हैं. इन पकवानों में आमतौर पर हलवा, पूरी और चना होता है. खीर भी परोसी जा सकती है. साथ ही माता की चुनरी, रुपए, कोई श्रृंगार सामग्री या खिलौने कन्याओं को उपहार स्वरूप दिए जाते हैं. कन्याओं को भोजन कराने और माता के जयकारे लगाने के बाद घर भेजा जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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