2018 का माघ मेला शुरू हो चुका है.
नई दिल्ली:
2018 का माघ मेला शुरू हो चुका है. इलाहाबाद में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. यह मेला पूरी जनवरी चलने वाला है. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां संगम में स्नान करने आ रहे हैं. हर साल माघ महीने की पहली पूर्णिमा के दिन यहां भारी मात्रा में संत-महात्माओं के साथ-साथ श्रद्धालु आ जाते हैं. इलाहाबाद में हर साल माघ मेला लगता है, जिसे कल्पवास कहा जाता है. कल्पवास का अर्थ होता संगम के पास बैठकर वेदों का अध्ययन करना.
माघ संकष्टी चतुर्थी: जानिए मुहूर्त और पूजा करने की विधि
यहां पूरे माघ मेले में मेला, जप, यज्ञ चलता रहता है. इस महीने की माघ पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन इलाहाबाद के संगम में स्नान करने से दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. माघ माह में चलने वाला यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक होता है.
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पूरे महीने चलने वाले इस मेले में 6 प्रमुख पर्व होंगे, इसी वजह से यहां इन सभी दिनों में विधि-विधान के साथ पूजा पाठ किया जाना है. 2 जनवरी को पौष पूर्णिमा से शुरूआत होने के बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 16 जनवरी को अमावस्या, 22 जनवरी को बसंत पूर्णिमा और 31 जनवरी को माघ पूर्णिमा को यह 5 पर्व मनाएं जाएंगे. लेकिन 13 फरवरी को आने वाली महाशिवरात्रि के दिन भी यहां करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचने वाले हैं. इसीलिए कुल यहां 6 स्नान पर्व मनाएं जाएंगे.
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ऐसे की जाती है माघ मेला में पूजा
1. माघ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान किया जाता है. स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है.
2. स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन की पूजा की जाती है.
3. दिन में गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दिया जाता है.
4. दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान में दिया जाता है.
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यहां पूरे माघ मेले में मेला, जप, यज्ञ चलता रहता है. इस महीने की माघ पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन इलाहाबाद के संगम में स्नान करने से दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. माघ माह में चलने वाला यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक होता है.
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पूरे महीने चलने वाले इस मेले में 6 प्रमुख पर्व होंगे, इसी वजह से यहां इन सभी दिनों में विधि-विधान के साथ पूजा पाठ किया जाना है. 2 जनवरी को पौष पूर्णिमा से शुरूआत होने के बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 16 जनवरी को अमावस्या, 22 जनवरी को बसंत पूर्णिमा और 31 जनवरी को माघ पूर्णिमा को यह 5 पर्व मनाएं जाएंगे. लेकिन 13 फरवरी को आने वाली महाशिवरात्रि के दिन भी यहां करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचने वाले हैं. इसीलिए कुल यहां 6 स्नान पर्व मनाएं जाएंगे.
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1. माघ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान किया जाता है. स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है.
2. स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन की पूजा की जाती है.
3. दिन में गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दिया जाता है.
4. दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान में दिया जाता है.
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