मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने सभी पूजा स्थलों को दोबारा खोले जाने की मांग करने वाली जनहित याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि ऐसा करने से भीड़ एकत्र होगी और कोविड-19 के हालात में अधिकारी इसे काबू करने में सक्षम नहीं होंगे.
न्यायमूर्ति एम सत्यनारायण और न्यायमूर्ति अनीता सुमन की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता आर के जलील की जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिका में पूजा के लिए आने वाले लोगों द्वारा सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने को लेकर कोई हल नहीं बताया गया है जोकि कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए आवश्यक है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि गैर-निरुद्ध क्षेत्र में अधिकतर दुकानों और कार्यालयों को संचालन की अनुमति दी जा चुकी है और सरकार धार्मिक संस्थानों को भी खोल सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन के कारण लोग पहले ही परेशान हैं इसलिए उन्हें मन की शांति प्राप्त करने के लिए अपने संबंधित पूजा स्थल पर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
वहीं, मामले में केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल जी राजगोपालन ने कहा कि धर्म की स्वतंत्रता जन स्वास्थ्य के अधीन है. उन्होंने कहा कि अगर धार्मिक स्थलों को दोबारा खोला गया तो भीड़ को संभालना मुश्किल होगा और महामारी और फैलेगी.
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