
Pran pratistha 2025 : राम मंदिर में सामूहिक प्राण प्रतिष्ठा का आज दूसरा दिन है. आज पालकी यात्रा निकाली जाएगी जिनमें 8 देवी-देवताओं की उत्सव मूर्तियां शामिल होंगी. जिन्हें रामलला के दर्शन कराए जाएंगे. राम जन्म भूमि परिसर में ही इन उत्सव मूर्तियों को मंत्रोच्चार के बीच अन्नाधिवास कराया जाएगा. आपको बता दें कि 3 जून को राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में अरणी मंथन भी किया गया, जो कि एक वैदिक प्रक्रिया है. यह प्रक्रिया यज्ञ के दौरान अग्नि को उत्पन्न करने के लिए की जाती है. इसमें शमी और पीपल की लकड़ी के घर्षण पैदा करके आग उत्पन्न की जाती है.
इसके अलावा क्या कुछ खास होता है और इसका क्या है धार्मिक महत्व, आइए जानते हैं...
अरणी मंथन क्या होता है
आपको बता दें कि शास्त्रों में शमी को अग्नि का स्वरूप माना जाता है जबकि पीपल को भगवान का. इन दोनों की वृक्षों की लकड़ी से अरणी मंथन काष्ठ तैयार किया जाता है. इसमें पहले से ही अग्नि होती है, ऐसे में मंत्र बोलकर अग्नि देवता का आवाहन किया जाता है.
अरणी शमी की लकड़ी से बना एक तख्ता होता है, जिसमें एक छिछला सा छेद बनाया जाता है. इसमें एक लकड़ी की छड़ी डालकर तेजी से चलाया जाता है. इससे चिंगारी उत्पन्न होती है जिसे हवा देकर बढ़ाया जाता है. इसी आग का यज्ञ में उपयोग किया जाता है. प्राचीन काल में ऋषि मुनि यज्ञ के लिए ऐसे ही अग्नि उत्पन्न किया करते थे. मान्यता है पुराने समय में मंत्रोच्चार से अग्नि उत्पन्न की जाती थी जिससे प्रभावित होकर देवता अग्नि कुंड में प्रकट होते थे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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