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कब खेली जाएगी बरसाने की लठमार होली और किसने की थी इसकी शुरुआत, जानिए यहां

Holi in barsana 2025 : होली से कुछ दिन पहले मथुरा और ब्रज मंडल में लठमार होली खेली जाती है. इस परंपरा की शुरुआत भगवान कृष्ण और राधा रानी ने की थी. लाठी और ढाल से खेली जाने वाली ये दिलचस्प होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है.

कब खेली जाएगी बरसाने की लठमार होली और किसने की थी इसकी शुरुआत, जानिए यहां
लठमार होली ब्रज गांव में मनाई जाती है. इस होली में खासतौर पर नंदग्राम के पुरुष और बरसाने की महिलाएं भाग लेती हैं.

Lathmar Holi And Its Importance : हिंदू सनातन धर्म में होली पर्व का विशेष महत्व है. फाल्गुन माह आते ही मानों हवा में रंग मिल जाते हैं. ऐसे में फाल्गुन माह में आने वाली होली देश ही नहीं दुनिया भर में धूमधाम से मनाई जाती है. होलिका दहन और रंग भरी होली पर देश और दुनिया भाईचारे के रंग में डूब जाती है और हर कहीं से आवाज आती है - बुरा न मानो होली है. होली इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन पुराने दुश्मन भी दुश्मनी भूलकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं. होली के कई रंग हैं, जैसे फूलों वाली होली, लड्डू होली, रंग वाली होली और लठमार होली (Lathmar Holi date in Barsana). जी हां, पूरी दुनिया में ब्रज की लठमार होली बहुत ज्यादा मशहूर है. भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के बरसाने और ब्रज गांव में लठमार होली खेली जाती है. लाठियों से खेली जाने वाली ये होली इतनी दिलचस्प होती है कि इसे देखने के लिए हर साल लाखों लोग इकट्ठा होते हैं. चलिए जानते हैं कि इस बार लठमार होली (Lathmar Holi kab hai) कब है और साथ ही जानेंगे इसके इतिहास (Who Start Lathmar holi) और दिलचस्प बातों के बारे में सब कुछ..

कब है लठमार होली - When is Lathmar Holi

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Photo Credit: IANS


यूं तो पूरे ब्रजमंडल में होली का त्योहार पूरे 40 दिन तक मनाया जाता है. लेकिन इसमें लठमार होली काफी खास होती है जिसे देखने काफी लोग आते हैं. लठमार होली हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल यानी 2025 में लठमार होली 8 मार्च को पड़ रही है.

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लठमार होली का दिलचस्प इतिहास - Lathmar Holi History

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हर साल रंग भरी होली यानी धुलंडी से पहले मथुरा और बरसाने के गांवों के बीच लठमार होली मनाई जाती है. कहा जाता है कि लठमार होली की शुरुआत खुद भगवान कृष्ण और राधा रानी ने की थी. लठमार होली की शुरुआत द्वापर युग में हुई थी . नंदगांव के नटखट कान्हा जी होली से पहले अपने ग्वाले मित्रों के साथ राधा रानी और उनकी सखियों के साथ होली खेलने और उनको सताने के लिए बरसाना गांव जाया करते थे. यहां कान्हा राधा को रंग लगाते और सताते और कान्हा को सबक सिखाने के लिए राधा रानी छड़ी लेकर उनको दौड़ाया करती थी. तभी से लठमार होली की परंपरा शुरू हुई जो आजतक चली आ रही है.

इसलिए खास होती है बरसाने की लठमार होली - Lathmar Holi Importance

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लठमार होली ब्रज गांव में मनाई जाती है. इस होली में खासतौर पर नंदग्राम के पुरुष और बरसाने की महिलाएं भाग लेती हैं. लठमार होली के दौरान खूब गीत संगीत और नृत्य आदि होते हैं. इस दिन महिलाओं और पुरुषों के बीच तरह-तरह की प्रतियोगिताएं भी होती हैं, जिन्हें देखना काफी दिलचस्प होता है. इस दौरान रंग गुलाल के साथ-साथ भांग और ठंडाई भी जमकर बंटती है. इस दिन गांव भर में कीर्तन मंडलियां होली के कान्हा और राधा के गीत गाती फिरता हैं. इस होली का गवाह बनने के लिए देश ही नहीं दुनिया भर से लोग आते हैं. लठमार होली पर ब्रज भाषा में होली के गीत गाए जाते हैं. लठमार होली में टेसू के फूलों बने रंग और गुलाल प्रयोग में लाए जाते हैं. लठमार होली में किसी भी तरह की हिंसा का प्रयोग नहीं होता है, इस दौरान जो लाठियां भांजी जाती हैं, वो बस परंपरा का हिस्सा है. इसमें किसी को चोट नहीं लगती है, हंसी मजाक का माहौल होता है.

किस तरह खेली जाती है लठमार होली - How to Play lathmar Holi

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लठमार होली का नाम सुनकर लगता होगा कि इसमें मार पीट होती होगी, लेकिन ये बड़े ही प्यार और दुलार के साथ खेली जाती है. इस दौरान नंदगांव के युवक हुरियारा बनते हैं और सिर पर साफा और कमर में फेंटा बांधकर हाथ में ढाल लेकर गोल घेरा बनाकर बैठ जाते हैं. इसके बाद बरसाने की महिलाएं हुरियारिन बनकर मुंह को लंबे पल्लू से ढक कर लाठियों से ढाल पर वार करते हुए होली के गीत गाती हैं. इस दौरान जमकर रंग बरसता है और होली के ब्रज गीत गाए जाते हैं. मान्यता है कि इस दौरान जिस भी हुरियारे को लठ छू जाता है, उसे सजा के तौर पर महिलाओं के कपड़े पहन कर नृत्य करना पड़ता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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