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Rakshabandhan significance : क्या बेटी पिता को राखी बांध सकती है, जानिए ज्योतिर्विद से इसके पीछे का शास्त्र

एक बेटी अपने पिता को राखी रक्षा सूत्र के रूप बांध सकती है. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है, और यह बंधन पिता और बेटी के बीच भी हो सकता है. 

Rakshabandhan significance : क्या बेटी पिता को राखी बांध सकती है, जानिए ज्योतिर्विद से इसके पीछे का शास्त्र
राखी तो केवल बहिनों द्वारा सिर्फ अपने सहोदर भाई एवं भाइयों को बांधी जा सकती है. बेटी पिता को राखी नहीं केवल रक्षा सूत्र बांध सकती है.

Rakshabandhan 2025 : हिन्दू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर उनके सुखी जीवन की कामना करती हैं और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं. इस दिन भाई बहनों को उपहार भी देते हैं.इस साल राखी 9 अगस्त दिन शनिवार को मनाई जाएगी. भारत में यह पर्व परंपरा और संस्कृति को ध्यान में रखकर हर साल मनाया जाता है. वैसे तो हम सभी को पता है राखी का पर्व भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है.लेकिन कुछ लोग इस दिन अपने पिता को भी राखी बांधते हैं. ऐसे में मन में यह सवाल उठता है कि क्या बेटी पिता को राखी बांध सकती है, शास्त्र इसको इजाजत देते हैं. आइए जानते हैं, इस बारे में ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से...

Rakshabandhan 2025 tithi : पत्नी भी पति को बांध सकती है राखी? जानिए ज्योतिर्विद से क्या कहता है शास्त्र

क्यों बेटी पिता को राखी बांध सकती है

पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि राखी विशुद्ध रूप से भाई बहिन का त्योहार है. एक बहिन ही अपने भाई को राखी बांध सकती है. राखी एक धागा मात्र नहीं है. इस सूत के धागे में बहिन ने अपनी भावनाएं और प्यार पिरोकर भाई को बांधती है. हर धागा राखी नहीं हो सकता है.

शास्त्र सम्मत नहीं है

शिव महापुराण, श्रीमद्भगवद्, स्कंद पुराण, महाभारत आदि ग्रन्थों में बेटी द्वारा पिता को राखी बांधने के बारे में कोई उल्लेख नहीं मिलता है. हां जो लोग हमारा संरक्षण  सुरक्षा और प्यार करते हैं, जैसे - पिता, चाचा, ताऊ, फूफा आदि उनको रक्षासूत्र बांधा जा सकता है.

बेटी और पिता के बीच संबंध सन्तान और पिता का है. इस रिश्ते की भावनाएं पिता पुत्री के मध्य वात्सल्य की होती है. एक बेटी अपने पिता को राखी रक्षा सूत्र के रूप बांधकर पिता के प्रति अपना स्नेह और सम्मान व्यक्त कर सकती है, और पिता भी अपनी बेटी की सुरक्षा और कल्याण की कामना करते हैं.

पिता को रक्षा सूत्र बांध सकती हैं राखी नहीं

हिन्दू धर्म में सभी को भावनाओं के धागे में पिरोया गया है. हर रिश्ते की अपनी अपनी मर्यादाएं और भावनाएं होती हैं. पिता बेटी का जनक अर्थात जन्म दाता है. लेकिन भाई और बहिन का जन्म दाता एक ही व्यक्ति अर्थात पिता होते हैं. यहां महत्व भावनाओं का है. इसलिए राखी तो केवल बहिनों द्वारा सिर्फ अपने सहोदर भाई एवं भाइयों को बांधी जा सकती है. बेटी पिता को राखी नहीं केवल रक्षा सूत्र बांध सकती है.

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