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This Article is From Jan 14, 2022

Kurma Dwadashi 2022: आज है कूर्म द्वादशी व्रत, जानिए भगवान श्री हरि विष्णु के पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यह दिन भगवान विष्णु के कूर्म यानी कछुए के अवतार को समर्पित है. आज कूर्म द्वादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के कूर्म स्वरूप की पूजा की जा रही है. आइए जानते हैं कूर्म द्वादशी का महत्व और इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त.

Kurma Dwadashi 2022: आज है कूर्म द्वादशी व्रत, जानिए भगवान श्री हरि विष्णु के पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व
Kurma Dwadashi 2022: जानिए कूर्म द्वादशी व्रत का महत्व व पूजा का शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली:

पौष मा​​ह (Paush Month) के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कूर्म द्वादशी (Kurma Dwadashi) व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु का विधि-विधान से पूजन किया जाता है. माना जाता है कि इस दिन श्री हरि की उपासना से भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. माना जाता है कि कूर्म द्वादशी भगवान श्री हरि के 'कूर्म' व 'कच्छप' अवतार को समर्पित है. इस साल कूर्म द्वादशी (Kurma Dwadashi 2022) 14 जनवरी यानि आज है. आइए जानते हैं कूर्म द्वादशी का महत्व और इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त.

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कूर्म द्वादशी 2022 तिथि व मुहूर्त | Shubh Muhurat Of Kurma Dwadashi

  • पौष मा​​ह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का प्रारंभ 13 जनवरी दिन गुरुवार को शाम 07 बजकर 32 मिनट से हो रहा है.
  • यह तिथि 14 जनवरी को रात 10 बजकर 19 मिनट तक रहेगी.
  • ऐसे में व्रत के लिए उदयातिथि 14 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए कूर्म द्वादशी व्रत 14 जनवरी को रखा जाएगा.

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कूर्म द्वादशी का महत्‍व | Kurma Dwadashi Importance

कूर्म द्वादशी का व्रत पुत्रदा एकादशी के अगले दिन पड़ता है. इस दौरान दो दिन तक निरंतर भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि कूर्म द्वादशी का व्रत व पूजन निष्ठा व पवित्र मन से करने वाले भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे समस्त अपराधों के दंड से भी मुक्ति मिल जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार, कूर्म द्वादशी के दिन दान करने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत से जुड़ी एक कथा के अनुसार, भगवान श्री हरि विष्णु ने ​कूर्म रूप धारण करके सागर मंथन के समय मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर उठाया था, तब सागर मंथन हो पाया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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