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This Article is From Jun 16, 2024

इस दिन मनाई जाएगी कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी, नोट कर लीजिए शुभ मुहूर्त और तारीख

कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी 2024 पर, चंद्रमा को देखने का विशेष महत्व है, श्रद्धालु सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और दिन भर भगवान गणेश की पूजा करते हैं.

इस दिन मनाई जाएगी कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी, नोट कर लीजिए शुभ मुहूर्त और तारीख
भगवान गणेश की मूर्ति को दूर्वा घास और फूलों से सजाया जाता है.

Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2024 : हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर चंद्र महीने में 2 चतुर्थी तिथि होती हैं. एक पूर्णिमा को कृष्ण पक्ष में आती है जिसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरी अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आती है, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. साल में 12 संकष्टी चतुर्थी व्रत होते हैं और कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी उनमें से एक है. हर महीने में भगवान गणेश के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. 

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कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी 2024 की तिथि और समय

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 25 जून को देर रात 01 बजकर 23 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 25 जून को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा. ऐसे में 25 जून को कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा.

कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी 2024 गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अमावस्यांत कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह में आती है. उत्तर भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह आषाढ़ महीने में आती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश ने कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी पर अपने सभी भक्तों के लिए पृथ्वी पर अपनी उपस्थिति दी थी.

कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी महत्व

प्रत्येक महीने भगवान गणेश की पूजा एक अलग नाम और पीठ के साथ की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वह दिन है जब भगवान शिव ने भगवान गणेश को सर्वोच्च देवता घोषित किया था. कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भक्तों को जीवन में आने वाली हर समस्या से दूर रखा जाता है और सभी दोषों और बुराइयों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा, यह एक ऐसा दिन है जो सभी कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करता है और भक्तों को स्वास्थ्य, धन और समृद्धि प्रदान करता है. 

कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी 2024 पर, चंद्रमा को देखने का विशेष महत्व है, श्रद्धालु सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और दिन भर भगवान गणेश की पूजा करते हैं. कई श्रद्धालु कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी का व्रत करते हैं, जिसमें उन्हें फल और दूध से बने उत्पाद खाना होता है.

भगवान गणेश की मूर्ति को दूर्वा घास और फूलों से सजाया जाता है. भगवान गणेश के वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए. शाम को, चंद्रमा को समर्पित संकष्टी पूजा की जाती है. इस दिन  भगवान गणेश का पसंदीदा भोजन जैसे मोदक शामिल होता है तैयार किया जाता है. इस दिन गणेश आरती के बाद, सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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