विज्ञापन
This Article is From Jul 06, 2017

जानिए क्या है कौरवों के जन्म लेने की कथा

वेद व्यास जी के वरदान के बाद गान्धारी ने गर्भधारण किया लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी संतान नहीं हुई तो गान्धारी क्षोभ से भर उठी.

जानिए क्या है कौरवों के जन्म लेने की कथा
महाभारत की एक कथा के अनुसार धर्मराज के वरदान के बाद कुन्ती से युधिष्ठिर के जन्म होने के बाद धृतराष्ट्र की पत्नी गान्धारी के मन में भी पुत्रवती होने की लालसा जागी. तब गान्धारी ने वेद व्यास जी से निवेदन किया कि वे उसे भी पुत्रवती होने वरदान दें. वेद व्यास जी के वरदान के बाद गान्धारी ने गर्भधारण किया लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी संतान नहीं हुई तो गान्धारी क्षोभ से भर उठी. क्रोधवश उसने अपने ही पेट में मु्ष्टि (मुक्का) का प्रहार कर लिया. इससे उसका गर्भपात हो गया.

अपने योगबल से वेद व्यास जी ने इस घटना को तुरंत जान लिया. वे गान्धारी के पास आए और बोले, "हे गान्धारी, आपने बहुत गलत किया. मेरा दिया हुआ वरदान कभी मिथ्या नहीं जाता." अपने वरदान की रक्षा के लिए उन्होंने गान्धारी से शीघ्रातिशीघ्र सौ कुण्ड तैयार करवाकर उसमें घी भरवाने के लिए कहा.

जैसा वेद व्यास जी ने कहा गान्धारी के आज्ञानुसार सौ कुण्ड बनवाकर उसमें घी भरवा दिया गया. तब वेदव्यास ने गान्धारी के गर्भ से निकले मांसपिण्ड पर मंत्र पढ़कर जल छिड़का. इससे उस पिण्ड के सौ टुकड़े हो गए, जो अँगूठे के पोर के बराबर थे.

वेद व्यास जी ने उन टुकड़ों को घी से भरे सौ कुण्डों में रखवा दिया और उन कुण्डों को दो वर्ष बीत जाने के बाद खोलने का आदेश देकर अपने आश्रम चले गए.

ठीक दो वर्ष पश्चात पहले कुण्ड से सबसे पहले दुर्योधन की उत्पत्ति हुई. जब दुर्योधन ने जन्म लिया तो सामान्य शिशु की तरह नहीं रोया नहीं बल्कि गधे की तरह रेंकने लगा. जब ज्योतिषियों से इसका लक्षण पूछा गया तो ज्योतिषियों ने धृतराष्ट्र को बताया कि "राजन्! आपका यह पुत्र कुलनाशक होगा. इसे परित्याग देना उचित है."

किन्तु पुत्रमोह के कारण धृतराष्ट्र और गान्धारी उसका त्याग नहीं कर सके. फिर बाकी के उन कुण्डों से धृतराष्ट्र के शेष 99 पुत्र और दुश्शला नामक एक कन्या का जन्म हुआ.

चूंकि गर्भ के समय गान्धारी महाराज धृतराष्ट्र की सेवा में असमर्थ हो गयी थी, इसलिए उसकी सेवा के लिये एक वणिक दासी रखी गई. धृतराष्ट्र ने उस दासी के साथ समय बिताया जिससे युयुत्स नामक एक पुत्र हुआ.

इस प्रकार दुश्शला सहित कौरव ( Kaurava ) संख्या में 100 नहीं बल्कि 101 थे. युयुत्स दुर्योधन और अन्य कौरवों का सौतेला भाई था.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
Ganesh Chaturthi 2024: ट्रेंडी तोरण से करें गणपति बप्पा का स्वागत, घर के दरवाजे पर लगाएं ये 6 लेटेस्ट डिजाइन
जानिए क्या है कौरवों के जन्म लेने की कथा
रुद्राक्ष धारण करने से मन रहता है शांत और नकारात्मता हो जाती है दूर
Next Article
रुद्राक्ष धारण करने से मन रहता है शांत और नकारात्मता हो जाती है दूर
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com