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ज्योतिषाचार्य से जानिए महामृत्युंजय मंत्र कहां से आया, इसे जपने का नियम और फायदा क्या है...

डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि इस मंत्र का अर्थ है मृत्यु को जीतने वाला. महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को संबोधित करता है और उनकी शक्ति से मृत्यु को दूर कर और दीर्घायु होने की प्रार्थना करता है. यह मंत्र 'यजुर्वेद के रुद्र' अध्याय में अंकित है.

ज्योतिषाचार्य से जानिए महामृत्युंजय मंत्र कहां से आया, इसे जपने का नियम और फायदा क्या है...
मंत्र जाप के लिए कुशा का आसान या ऊन के बने सफेद आसन पर  बैठकर जाप करना अच्छा माना जाता है.

Mahamrityunjaya Mantra significance : देवों के देव महादेव की पूजा करने से सारे कष्ट दूर होते हैं. इनकी पूजा मात्र से सारी दुख-तकलीफें दूर होती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है. भगवान शिव का शास्त्रोक्त मंत्र महामृत्युंजय जपने से रोग-दोष दूर होते हैं. यह मंत्र बहुत शक्तिशाली माना जाता है. इस मंत्र की उत्पत्ति कहां से हुई, इसे जपने का नियम और फायदा क्या है, आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से...

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 महामृत्युंजय मंत्र कहां से आया 

डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि इस मंत्र का अर्थ है मृत्यु को जीतने वाला. यह मंत्र भगवान शिव को संबोधित करता है और उनकी शक्ति से मृत्यु को दूर कर और दीर्घायु होने की प्रार्थना करता है. यह मंत्र 'यजुर्वेद के रुद्र' अध्याय में अंकित है.

इस मंत्र को लेकर एक पौराणिक कथा है, जो इस प्रकार है..

ऋषि मृकंदु और उनकी पत्नी मरुध्वती के कोई संतान नहीं थी. दोनों पति-पत्नी जंगल में तपस्वी जीवन जी रहे थे. तब ऋषि मृकंदु ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया. जिससे खुश होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए और पूछा क्या उसे एक गुणी, बुद्धिमान और धर्मपरायण पुत्र चाहिए जो सोलह वर्ष तक जीवित रहे या एक मंदबुद्धि, दुष्ट स्वभाव वाला पुत्र जो दीर्घायु हो. बिना कुछ सोचे, मृकंदु ने अल्पायु लेकिन गुणी पुत्र को चुना. भगवान शिव ने उसकी प्रार्थना स्वीकार की और चले गए. इसके कुछ दिन बाद मरुध्वती ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम मार्कंडेय रखा गया. 

जैसे-जैसे मार्कंडेय का सोलहवां साल निकट आता गया, माता-पिता का दुःख बढ़ता गया, क्योंकि उन्हें पता था कि इस उम्र में उसकी मृत्यु निश्चित है. इस बात को माता पिता अपने पुत्र से छिपा नहीं सके और उसे अल्पायु होने के बारे में बताया. यह बात सुनने के बाद मार्कंडेय ने अपने माता पिता को सांत्वना दी और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या करने के लिए उनसे आशीर्वाद मांगा. 

 मार्कण्डेय ने शिव को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और उसका जप करना शुरू किया. 16 वर्ष पूरा होने पर यमराज का आगमन हुआ. यमराज को देखकर शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने यमराज को समझाया कि मार्कण्डेय उनका भक्त है और उसकी अकाल मृत्यु नहीं होनी चाहिए. इस दौरान दीर्घायु शिवजी ने मार्कण्डेय को दीर्घायु होने का वरदान दिया और कहा की जो भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप करेगा वह अकाल मृत्यु से बचेगा. इसलिए महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति ऋषि मार्कंडेय द्वारा की गई है. 

महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे - Benefits of chanting Mahamrityunjaya Mantra

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के कई लाभ बताए गए हैं, जैसे रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. मृत्यु के भय को दूर करता है और एक शांत और सकारात्मक जीवन जीने में मदद करता है. मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, काल सर्प दोष आदि को दूर करता है. इस मंत्र के जप से आयु में वृद्धि होती है और व्यक्ति को एक लंबा और स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है.  

ज्योतिषीय उपायों में अथवा पूजा पाठ में यह अंतिम उपाय है, जो मृत्यु सैय्या पर पड़े प्राणी को पुनर्जीवित करने की शक्ति रखता है.

महामृत्युंजय मंत्र जप के मुख्य नियम - 

समय -  महामृत्युंजय मंत्र का जप किसी भी समय किया जा सकता है. लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः 4:00 बजे के आसपास इसका जाप करना उत्तम माना गया है. जप कि संख्या आप अपनी सुविधा अनुसार 27, 54, 108 बार कर सकते हैं . 

स्थान - एक निश्चित स्थान पर बैठकर जाप करना चाहिए और प्रतिदिन उसी स्थान पर मंत्र का जप करना चाहिए. 

आसन - मंत्र जाप के लिए कुशा का आसान या ऊन के बने सफेद आसन का प्रयोग करना चाहिए. 

दिशा - मंत्र का जाप करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख रखना चाहिए. उत्तर दिशा की ओर भी करके जप कर सकते हैं. मंत्र जाप करते समय मन को एकाग्र रखें और भगवान शिव का स्मरण करें .

माला - महामृत्यु मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला या मोती की माला पर किया जा सकता है . 

शुद्धता - महामृत्युंजय मंत्र जाप करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहने और पूजा स्थल को भी साफ रखें. मंत्र जाप के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें. मंत्र जाप करते समय धूप, दीप, जलाएं और भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर जाप करें. 

महामृत्युंजय मंत्र जाप के लिए एक निश्चित समय और स्थान निर्धारित करें और संकल्प कर प्रतिदिन उस समय और स्थान पर जाप करें. 

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्। त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पतिवेदनम्। उर्वारुकमिव बन्धनादितो मुक्षीय मामुतः ॥

प्रस्तुत मन्त्र में भगवान त्र्यम्बक शिवजी से प्रार्थना है कि जिस प्रकार ककड़ी का परिपक्व फल वृन्त से मुक्त हो जाता है, उसी प्रकार हमें आप जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त करें, हम आपका यजन करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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