
Nirjala Ekadashi tithi 2025 : हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है. इस दिन श्रीहरि और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. सच्चे मन से पूजा अर्चना करने सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आपको बता दें कि यह एकादशी सभी एकादशियों में ज्यादा फलदायी होती है, क्योंकि इसे निर्जला रखा जाता है. इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन देवी लक्ष्मी से जुड़े कुछ उपाय कर लेते हैं, तो उनकी कृपा आप पर होगी. आज के इस लेख में हम आपको ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र द्वारा बताए उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे आपको निर्जला एकादशी के दिन जरूर अपनाना चाहिए...
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निर्जला एकादशी के दिन देवी लक्ष्मी से जुड़े उपाय
- निर्जला एकादशी के दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए, आप कमल के फूल, गुलाब के फूल, इत्र, फल, घर की बनी खीर, बर्फी और सुगंधित धूप अर्पित कर सकते हैं.
- इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना बहुत शुभ माना जाता है. इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आपकी धन वृद्धि होती है.
- निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद, सूरज निकलते समय लक्ष्मी सूक्त और श्री सूक्त का पाठ करना शुभ माना जाता है.
- सात कौड़ियों को हल्दी की 7 गांठों के साथ लपेटकर उसकी पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा होती है और धन की वृद्धि होती है.
- घर में कामधेनु गाय की मूर्ति रखने से परिवार में शांति बनी रहती है. इस दिन आप तुलसी के पौधे की 11 बार परिक्रमा करिए और कच्चा दूध चढ़ाएं.
- इस दिन दीपक जलाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. साथ ही गेहूं, चावल और चने की दाल आदि का दान निर्जला एकादशी के दिन बहुत शुभ माना गया है.
- वहीं, आप कारोबार में तरक्की पाना चाहते हैं, तो विष्णु मंदिर में पीले रंग के वस्त्र का दान करें एवं माता लक्ष्मी को गुलाबी रंग के वस्त्र अर्पित करिए.
- निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को श्रीफल, केसर और दूध अर्पित करिए. वहीं, तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाने से भगवान विष्णु की कृपा बरसेगी.
लक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ह्रीं श्रीं नमः ।
ॐ कमलायै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः ।
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नीं च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।
धनदा लक्ष्मी स्तोत्र
सम्प्रवक्ष्यामि धनदास्तोत्रमुत्तमम् । यथोक्तं सर्वतन्त्रेषु इदानीं तत् प्रकाशितम् ॥ नमः सर्व स्वरूपेण नमः कल्याणदायिके । महासम्पत्प्रदे देवि धनदायै नमोऽस्तुते ।। महाभोगप्रदे देवि महाकामप्रपूरिते। सुखमोक्षप्रदे देवि धनदायै नमोऽस्तुते ।। ब्रह्मरूपे सदानन्दे सदानंदस्वरूपिणी। द्रुतसिद्धिप्रदे देवि धनदायै नमोऽस्तुते ।। उद्यत्सूर्यप्रकाशाभे उद्यदादित्यमण्डले । शिवतत्त्वप्रदे देवि धनदायै नमोऽस्तुते ।। विष्णुरूपे विश्वमते विश्वपालनकारिणि । महासत्त्वगुणाक्रान्ते धनदायै नमोऽस्तुते ।। शिवरूपे शिवानन्दे कारणानन्द विग्रहे। विश्वसंहाररूपे च धनदायै नमोऽस्तुते ।। पंचतत्त्वस्वरूपे च पंचाचार सदारते। साधकाभीष्टदे देवि धनदायै नमोऽस्तुते ॥ इदं स्तोत्र मया प्रोक्तं साधकाभीष्टदायकम् । यः पठेत् पाठयेद्वापि स लभेत् सकलफलम् । त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स्तोत्रमेतत् समाहितः । स सिद्धिं लभते शीघ्रं नात्रकार्याविचारणा । इदं रहस्यं परमं स्तोत्रं परमदुर्लभम् । अप्रकाश्यमिदं देवि गोपनीयं परात्परम्। प्रपठेन्नात्र सन्देहो धनवान् जायतेऽचिरात् ॥ गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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