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This Article is From Apr 17, 2024

मान्यतानुसार कामदा एकादशी की कथा सुनने से पूर्ण होती हैं सभी मनोकामनाएं, यहां पढ़ें पूरी कथा

कहा गया है कि कामदा एकादशी पर विधि-विधान से अगर पूजा कर कथा सुनी जाए तो पुण्य की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं. यहां पढ़िए कामदा एकादशी व्रत की पौराणिक कथा.

मान्यतानुसार कामदा एकादशी की कथा सुनने से पूर्ण होती हैं सभी मनोकामनाएं, यहां पढ़ें पूरी कथा
कहते हैं कामदा एकादशी व्रत का प्रताप 100 यज्ञों के समान है.

Kamada Ekadashi 2024: इस साल शुक्रवार 19 अप्रैल, 2024 शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी मनाई जाएगी. इसे फलदा एकादशी भी कहते हैं. इस दिन लक्ष्मी पति भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से जगपालक भगवान श्रीहरि विष्णु (Lord Vishnu) प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकमानाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहते हैं इस व्रत का प्रताप 100 यज्ञों के समान है. कहा गया है कि कामदा एकादशी पर विधि-विधान से अगर पूजा कर कथा सुनी जाए तो पुण्य की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं. यहां पढ़िए कामदा एकादशी की व्रत कथा.

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कामदा एकादशी की व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को कामदा एकादशी की व्रत की कथा सुनाई थी. रघुकुल के राजा और भगवान राम के पूर्वज राजा दिलीप ने भी कामदा एकादशी की कथा (Kamada Ekadashi Katha) को अपने गुरु वशिष्ठ से सुना था. प्राचीनकाल में पुंडरीक नाम का एक राजा था. वह हर वक्त भोग-विलास में डूबा रहता. उसके ही राज्य में एक पति-पत्नी रहते थे जिनका नाम ललित और ललिता था. दोनों में प्रगाढ़ प्रेम था. एक दिन राजा की सभा में ललित संगीत सुना रहा था कि तभी उसका ध्यान अपनी पत्नी की ओर चला गया और उसका स्वर बिगड़ गया. यह देख राजा पुंडरीक का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया.

राजा इतना क्रोधित हुआ कि उसने क्रोध में आकर ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया. राजा के श्राप से ललित मांस खाने वाला राक्षस बन गया. अपने पति का हाल देख ललिता का दुख चरम पर पहुंच गया. पति को ठीक करने वह हर किसी के पास गई और इसका उपाय पूछा. आखिरकार थक-हारकर वह विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंची और ऋषि से अपने पति का सारा हाल सुनाया. ऋषि ने ललिता को कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी.

ऋषि ने कामदा एकादशी का व्रत का प्रताप बताया और ललिता से इस व्रत (Kamada Ekadashi Vrat) को करने को कहा. ललिता ने ऋषि के बताए अनुसार शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान से पूजा अर्चना की. अगले दिन द्वादशी को पारण कर व्रत को पूरा किया. भगवान विष्णु की कृपा से उसके पति को फिर से मनुष्य योनि मिली और राक्षस योनि से मुक्त हो गया. इस तरह दोनों का जीवन हर तरह के कष्ट से मिट गया. फिर श्रीहरि का भजन-कीर्तन करते दोनों मोक्ष को प्राप्त हुए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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