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Jyeshtha Purnima 2025 : ज्येष्ठ पूर्णिमा 10 या 11 जून कब है ? स्नान-दान और चंद्रोदय समय, जानिए यहां

Purnima tithi significance : इस दिन पीपल, नीम, बरगद का वृक्ष लगाने और उनका पोषण करने का संकल्प करने और इन वृक्षों के नीचे बैठकर भगवान की आराधना करने और पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करने से प्राणी रोग मुक्त होता है. 

Jyeshtha Purnima 2025 : ज्येष्ठ पूर्णिमा 10 या 11 जून कब है ? स्नान-दान और चंद्रोदय समय, जानिए यहां
पूर्णिमा के दिन माता पिता को सम्मानपूर्वक गंगा स्नान कराने साल में पड़ने वाली सभी पूर्णिमाओं के बराबर फल मिलता है. 

Purnima vrat kab hai : हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. साल में 12 पूर्णिमा होती हैं. हालांकि, हिंदू कैलेंडर में अधिकमास होने पर साल में 13 पूर्णिमा भी हो सकती हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना और जरूरतमंदों को दान करना शुभ फलदायी माना जाता है. पूर्णिमा तिथि के दिन सत्यनारायण भगवान, चंद्रमा और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसे में इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है और चंद्रोदय का समय क्या होगा जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से...  

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कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025

पंडित अरविंद मिश्र के अनुसार, 10 जून को पूर्णिमा तिथि प्रातः 11:35 मिनट पर शुरू होगी, जो 11 जून दोपहर 01:13 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार 11 जून को पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. इस दिन जगन्नाथ यात्रा, वट सावित्री व्रत, संत कबीर जयंती, श्री अमरनाथ पूजा, गुरु गोरखनाथ जयंती भी है.

ज्येष्ठ पूर्णिमा चंद्रोदय समय 2025

 इस दिन चंद्रोदय 6 बजकर 45 मिनट पर होगा.

पूर्णिमा का क्या है महत्व - Significance of purnima 2025

  • इस दिन भगवान श्री विष्णु जी और माता लक्ष्मी की आराधना करने से गरीबी दूर होती है. वहीं, पूर्णिमा को पति की दीर्घायु के लिए विवाहित स्त्रियां वट सावित्री का व्रत भी करती हैं. पूर्णिमा के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और चन्द्र देव की आराधना करने से अविवाहित लोगों के विवाह में आ रही बाधा समाप्त होती है. 
  • इस दिन भगवान श्री सत्य नारायण जी कथा करने और कराने से नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है. इसके अलावा जल प्याऊ लगाने एवं गरीबों को सत्तू खिलाने से राहु, केतु, शनि, चंद्र और ग्रह प्रसन्न होते हैं. 
  • पूर्णिमा के दिन माता पिता को सम्मानपूर्वक गंगा स्नान कराने साल में पड़ने वाली सभी पूर्णिमाओं के बराबर फल मिलता है. इस दिन पीपल, नीम, बरगद का वृक्ष लगाने और उनका पोषण करने का संकल्प करने और इन वृक्षों के नीचे बैठकर भगवान की आराधना करने और पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करने से प्राणी रोग मुक्त होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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