
Jagganath rath yatra 2025 : ओडिशा राज्य के पुरी में हर साल आषाढ़ माह में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है. मान्यता है इस यात्रा में शामिल होने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है इस धार्मिक यात्रा में देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और जगन्नाथ जी के रथ को खींचते हैं. अगर आप भी इस साल पुरी की रथ यात्रा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं, तो फिर आप इसका पूरा शेड्यूल जान लीजिए...
यहां पर शिवलिंग से अपने आप 24 घंटे निकलता है पानी, जानिए कहां है ये जगह और इसकी पौराणिक मान्यता

जगन्नाथ रथ यात्रा तिथि 2025 - Jagannath Rath Yatra Date 2025
- 10 जून को स्नान पूर्णिमा थी, जिसके बाद परंपरा के अनुसार भगवान 15 दिन के लिए बीमार हो गए हैं. ऐसे में उनका उपचार चल रहा है. इस दौरान भगवान भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं, बल्कि सेवा कराते हैं.
- 16 जून को अनासरी पंचमी के दिन भगवान के अंगों की आयुर्वेदिक तेलों से मालिश होगी, जिसे फुल्लरी तेल कहते हैं. मान्यता है इससे धीरे-धीरे भगवान ठीक होने लगते हैं.
- 20 जून 2025 यानी अनासरी दशमी पर भगवान रत्न सिंहासन पर विराजमान किए जाएंगे.
- 21 जून जगन्नाथ जी के इलाज के लिए फिर से औषधियों का लेप लगाया जाएगा, जिसे खली कहते हैं.
- वहीं, 25 जून को बलभद्र, सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ जी के विग्रह को सजाया जाएगा.
- 26 जून को भगवान के नव यौवन का दर्शन होगा, इस दिन भगवान से रथ यात्रा के लिए आज्ञा ली जाएगी.
- 27 जून को रथ यात्रा की शुरूआत होगी, जो गुंडिचा मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी. यात्रा के पहले दिन छेरा की रस्म की जाएगी.
- इसमें ओडिशा के महाराज सोने की झाडू से रथ की सफाई करते हैं, फिर शाम को भक्त रथ को खींचेंगे.
- 1 जुलाई को हेरा पंचमी की रस्म की जाएगी.
- 4 जुलाई को वापसी यात्रा निकाली जाएगी, जिसे बहु़ड़ा कहते हैं.
- 5 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की मुख्य मंदिर में वापसी होगी, जहां उनका भव्य स्वागत किया जाएगा.

हेरा पंचमी क्या है - whai is hera panchami
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव के दौरान गुंडिचा मंदिर में रहते हैं, जबकि माता लक्ष्मी पुरी के मुख्य मंदिर में रहती हैं. ऐसे में देवी लक्ष्मी, सुवर्ण महालक्ष्मी के वेश में, हेरा पंचमी के दिन गुंडिचा मंदिर में क्रोधित होकर आती हैं. जिसके बाद गुंडिचा मंदिर के पुजारी उन्हें पालकी में अंदर लाते हैं, जहां वे उनकी पूजा करते हैं और गर्भगृह में ले जाते हैं. यहां उनकी मुलाकात भगवान जगन्नाथ से होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं