
Isha foundation : ईशा फाउंडेशन का मुख्य केंद्र तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर के पास स्थित है. जो वेल्लियांगिरी पर्वत की तलहटी में बना हुआ है. ईशा फाउंडेशन द्वार स्थापित यह केंद्र अपनी आध्यात्मिक, पर्यावरणीय और सामाजिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है. इस केंद्र में आदियोगी की 112 फुट ऊंची प्रतिमा, जो भगवान शिव को समर्पित है एक बड़ी भीड़ को आकर्षित करती है. इसके अलावा वेल्लियांगिरी पर्वत की तलहटी में अण्डाकार गुंबद के भीतर स्थित, ध्यानलिंग मंदिर ईशा केंद्र की मुख्य विशेषता है. जहां लोग ध्यान करते हैं.
सद्गुरु द्वारा इस अद्भुत “ध्यान मशीन” की स्थापना किए 26 साल हो चुके हैं. 24 जून को इसका प्रतिष्ठापन दिवस था. ऐसे में आइए जानते हैं ध्यानलिंग से जुड़े अनोखे तथ्यों के बारे में...

3 साल की गई प्राण प्रतिष्ठा
इस ध्यानलिंग को सद्गुरु द्वारा तीन साल से अधिक समय के प्राण प्रतिष्ठा के बाद स्थापित किया गया था.
ध्यानलिंग में हैं 7 ऊर्जा चक्रध्यान लिंग में सभी सात चक्रों (मानव शरीर में ऊर्जा केंद्र) को उनके चरम तक सक्रिय किया गया है, जिससे एक आध्यात्मिक ऊर्जा का निर्माण हुआ है. यहां बिना किसी पूर्व ध्यान प्रशिक्षण के बावजूद आगंतुक शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकते हैं.

ध्यानलिंग के बारे में अनोखी बात यह है कि यह दुनिया में अपनी तरह का एक अनूठा लिंग है. इसका मूल ढांचा रासायनिक रूप से ठोस पारे से बना है, जिसे रासलिंग कहा जाता है. यह 13 फीट 9 इंच ऊंचा, है जो इसे दुनिया का सबसे ऊंचा ध्यान लिंग बनाता है.
नाद आराधनाध्यानलिंग के गुंबद के अंदर हर दिन दो बार सुबह 11:50 से दोपहर 12:10 बजे तक और शाम 5:50 से 6:10 बजे के बीच नाद आराधना की जाती है. यह एक विशेष समय है जब भक्त ध्यानलिंग की ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं.

यह हर शिवरात्रि पर की जाने वाली एक शक्तिशाली प्रक्रिया है, जो मानव प्रणाली के भीतर पृथ्वी, वायु, आकाश, अग्नि और जल के पांच तत्वों को शुद्ध करती है. यह शारीरिक बीमारियों या मानसिक तौर से परेशान लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी है.
हर समय पूर्ण मौनध्यानलिंग के अंदर की रोशनी आमतौर पर काफी कम रखी जाती है और गर्भगृह के अंदर हर समय मौन बनाए रखना अनिवार्य है. ताकि ध्यान अपने आप ही बिना किसी प्रयास के आसानी से हो जाए.

फ़ोन को भी अंदर ले जाने की अनुमति नहीं है. ध्यानलिंग मंदिर के अंदर “ध्यान गुफाएं” (दीवार में घेरे) बनी हैं, जहां ध्यान करने वाले लंबे समय तक बिना किसी बाधा के ध्यान कर सकते हैं.
सर्व धर्म स्तम्भध्यानलिंग मंदिर में प्रवेश करने से ठीक पहले, भक्त एक स्तम्भ को पार करते हैं, जिस पर दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों के प्रतीक अंकित हैं. जो इस बात का प्रमाण है कि ध्यानलिंग की कृपा सभी धर्मों के लोग प्राप्त कर सकते हैं.

ध्यानलिंग की जीवंत ऊर्जाएं पूर्ण और आत्मनिर्भर हैं, जिन्हें अपनी पवित्रता बनाए रखने के लिए किसी पूजा-पाठ की जरूरत नहीं होती. लिंग पर पानी की बूंदें गिराई जाती हैं, ताकि इसकी नमी बनी रहे और साधकों की ग्रहणशीलता बढ़े. प्रत्येक अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को, कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से ध्यानलिंग को दूध या जल अर्पित कर सकता है. ध्यानलिंग का भौतिक आधार, ग्रेनाइट पत्थर सूख सकता है, इसलिए इसे समय-समय पर जलयोजन की आवश्यकता होती है.
वास्तव में लोग ध्यानलिंग चढ़ाए गए दूध को "पीते" हैं. क्योंकि शुद्ध ग्रेनाइट छिद्रपूर्ण होता है और तरल पदार्थों को अवशोषित करने में सक्षम होता है. आपको बता दें कि दूध और पानी, लिंग स्नानम नामक सफाई प्रक्रिया के साथ मिलकर, पत्थर को बिना किसी रंग-रूप परिवर्तन के लंबे समय तक जीवित रखता है. वहीं, ध्यानलिंग पर चढाया दूध, उबाल कर, फिल्टर किया जाता है, फिर बच्चों के लिए भोजन तैयार करने में उपयोग किया जाता है.

ध्यानलिंग गुंबद का कैसा है निर्माण
ध्यानलिंग गुंबद अद्वितीय 1008 ईंट से बना है, जो गुंबद की अण्डाकार संरचना बनाता है. इसमें कोई स्टील, सीमेंट या कील नहीं है.
ध्यानलिंग सेवाजिन भक्तों ने इनर इंजीनियरिंग की है, उन्हें ध्यानलिंग की सेवा में खुद को समर्पित करने का अवसर मिलता है. यह दस दिनों की सेवा है जिसमें 1 दिन मौन और एक दिन अभिविन्यास होता है. भक्त ध्यानलिंग परिसर में बिना किसी अभिविन्यास या मौन के 5 दिनों की सेवा भी कर सकते हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं