विज्ञापन
This Article is From Sep 13, 2022

Indira Ekadashi 2022: इंदिरा एकादशी व्रत में पढ़ी जाती है ये कथा, जानें शुभ मुहूर्त और पारण समय

Indira Ekadashi 2022: इंदिरा एकादशी व्रत का खास महत्व है. यह व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. जानिए व्रत शुभ मुहूर्त, कथा और पारण का सही समय.

Indira Ekadashi 2022: इंदिरा एकादशी व्रत में पढ़ी जाती है ये कथा, जानें शुभ मुहूर्त और पारण समय
Indira Ekadashi 2022: इंदिरा एकादशी व्रत से मोक्ष की प्राप्त होती है.

Indira Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत (Indira Ekadashi Vrat) रखा जाता है. इस साल इंदिरा एकादशी 21 सितंबर को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी का व्रत रखने से व्रती को वैकुंठ की प्राप्ति होती है. व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है. इसके साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. आश्विन मास की इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) के दिन व्रत रखने और पितरों के निमित्त, पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है. आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी व्रत कथा, शुभ मुहूर्त और पारण समय के बारे में.

इंदिरा एकादशी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त | Indira Ekadashi 2022 Date and Shubh Muhurat

  • एकादशी तिथि आरंभ - सितम्बर 20, 2022 को रात 09:26 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त - सितम्बर 21, 2022 को रात 11:34 बजे
  • पारण का समय- 22 सितंबर को सुबह 06 बजकर 09 मिनट से 08 बजकर 35  मिनट तक 

Tulsi Puja: तुलसी पूजा के वक्त कर सकते हैं ये छोटा सा काम, मान्यतानुसार मां लक्ष्मी की बरसती है कृपा!

इंदिरा एकादशी व्रत कथा | Indira Ekadashi Vrat Katha


पौराणिक कथा के अनुसार, किसी समय इंद्रसेन नामक राजा भगवान विष्णु के परम भक्तों में से एक थे. वे भगवान के बहुत बड़े उपासक थे. एक दिन नारद जी इंद्रसेन के मृत पिता का समाचार लेकर उनकी सभा में पहुंचे. वहां पहुंचकर नारद जी ने बताया कि कुछ दिन पहले जब वे यमलोग गए थे तो उनकी मुलाकात राजा के पिता से हुई. राजा कि पिता ने नारद जी को बताया कि उसने अपने जीवन काल में एकादशी का व्रत भंग कर दिया था, जिसकी वजह से उन्हें मुक्ति नहीं मिल पाई. नारद जी ने राजा को बताया कि पिता को मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें आश्विन मास की इंदिरा एकादशी का व्रत करना होगा. जिसके परिणामस्वरूप उनके पिता को मोक्ष प्राप्त हो सकता है. पिता का संदेश सुनकर राजा इंदिरा एकादशी का व्रत करन के लिए तैयार हो गए. फिर उन्होंने नारद जी से इस व्रत का विधान पूछा. जिसके बाद नारद जी ने राजा को इंदिरा एकादशी की पूरी विधि बताई.

Mangal Rashi Parivartan: मंगल करने जा रहे हैं मिथुन राशि में प्रवेश, इन 3 राशि वालों को हो सकता है फायदा !

नारद जी द्वारा बताई विधि के मुताबिक राजा इंद्रसेन ने व्रत का संकल्प लिया. साथ ही इंदिरा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा, पितरों का श्राद्ध, ब्राह्मण को भोजन और दान इत्यादि कर्म किए. जिसके फलस्वरूप राजा के पिता को बैकुंठ की प्राप्ति हो गई. इसके अलावा राजा इंद्रसेन भी मृत्यु के बाद बैकुंठ को प्राप्त किए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

अनंत चतुर्दशी आज, मुंबई में गणपति विसर्जन की धूम​

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com