Sankashti Chaturthi vrat 2023 : आज फाल्गुन मास का पहला व्रत संकष्टी चतुर्थी है. इस दिन भगवान गणेश के उस रूप की पूजा की जाती है जिसमें विघ्नहर्ता जनेऊ धारण किए होते हैं. इसे द्विजप्रिय चतुर्थी व्रत भी कहा जाता है. इस दिन व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं साथ ही कष्ट भी दूर होते हैं. इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता है कि इसे भगवान शिव ने रूठी हुई देवी पार्वती को मनाने के लिए किया था. इसलिए यह दिन भगवान गणेश और देवी पार्वती दोनों को पसंद है. ऐसे में चलिए जान लेते हैं इस व्रत की पूजा (ganesh puja vidhi) विधि के बारे में.
बुधवार के दिन इस विधि से करें गणेश जी की पूजा, घर की तरक्की नहीं रुकेगी सुख-शांति भी रहेगी बनी
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि | Sankashti chaturthi vrat
- संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें. सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत का संकल्प लीजिए.
- इससे बाद एक चौकी या घर के पूजा मंदिर में ही लाल वस्त्र का आसन बिछाएं और कलश स्थापना करें. फिर उस जगह पर भगवान गणेश की तस्वीर की स्थापना करें.
- फिर उन्हें जल अर्पित करके हल्दी-कुमकुम का तिलक करें और पीले वस्त्र पहनाएं. भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद है ऐसे में आप उन्हें इसका भोग जरूर लगाएं.
- आपको बता दें कि सकट चतुर्थी का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करके ही संपन्न किया जाता है. इस दिन भगवान गणेश की सुबह शाम आरती जरूरी करनी चाहिए, इससे घर में सुख शांति आती है.
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- आप इनकी पूजा करते समय इन मंत्रों से का जाप भी कर सकते हैं- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा,ओम् एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्, ओम् गं गणपतये नमः, ओम् गजाननाय नमः, ओम् लम्बोदराय नमः
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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