Holashtak 2022: आज से लग रहे हैं होलाष्टक, होलिका दहन तक इन शुभ कार्यों को करने की होती है मनाही

होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. शास्त्रों में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है. हिंदू धर्म में होली से आठ दिन पहले सभी मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. आइए जानते हैं कि इस साल होलाष्टक कब से लग रहा है और होलाष्टक का क्या धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व है.

Holashtak 2022: आज से लग रहे हैं होलाष्टक, होलिका दहन तक इन शुभ कार्यों को करने की होती है मनाही

Holashtak 2022: आज से हो रही है होलाष्टक की शुरुआत

नई दिल्ली:

सनातन पंरपरा में उमंग और उल्लास से भरी होली (Holi) महापर्व का विशेष महत्व है. होली पर्व की शुरुआत होलाष्टक से प्रारम्भ होकर धुलेंडी तक रहती है. बता दें कि होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा (Falgun Month Purnima) को मनाई जाती है. शास्त्रों में फाल्गुन (Falgun) शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक (Holashtak 2022) कहा जाता है. हिंदू (Hindu) धर्म में होली से आठ दिन पहले सभी मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है, क्योंकि होली के आठ दिन पहले से होलाष्टक (Holashtak) मनाया जाता है.


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माना जाता है कि इन आठ दिनों में भले ही मांगलिक और शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है, लेकिन यह समय अपने आराध्य देवी-देवता की साधना के लिए उत्तम माना जाता है. आइए जानते हैं कि इस साल (2022) होलाष्टक कब से लग रहा है और होलाष्टक का क्या धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व है.

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होलाष्टक का महत्व |  Significance Of Holashtak 2022

होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. होली के पहले आठ दिनों तक होलाष्टक मनाए जाते हैं. फाल्गुन (Falgun) शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि होलाष्टक (Holashtak 2022) में तप करना शुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक की शुरुआत होते ही एक पेड़ की शाखा काट कर जमीन पर लगा देनी चाहिए. इसमें रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़े बांध देते हैं, जिसे भक्त प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं कि उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता.

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कब लग रहे हैं होलाष्टक | Holashtak 2022 Start And End Date

होलाष्टक प्रारंभ- 10 मार्च 2022, गुरुवार से,

होलाष्टक समाप्त- 18 मार्च 2022, शुक्रवार तक.

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होलाष्टक पर क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य

पौराणिक कथा के मुताबिक, फाल्गुन मास (Falgun Month) की अष्टमी तिथि को भगवान शिव शंकर ने तपस्या भंग करने के दोष के कारण कामदेव को भस्म कर दिया था. इस दौरान कामदेव (Kaamdev) की पत्नी रति के भगवान शिव शम्भू (Lord Shiva) से कामदेव को जीवित करने की प्रार्थना की. इस पर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें पुनर्जीवित करने का आश्वासन दिया.

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होलाष्टक (Holashtak 2022) को लेकर एक कथा प्रचलित है. बताया जाता है कि एक समय की बात है जब राजा हिरण्यकश्यप बेटे प्रहलाद को भगवान श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) की भक्ति से दूर करने में जुटे थे. कहते हैं कि इन आठ दिनों में उन्होंने प्रहलाद को कठिन यातनाएं दीं. इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) की गोदी में प्रहलाद को बैठा कर जलाने का प्रयास किया, लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए. बता दें कि इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है और इन दिनों कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता.

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होलाष्टक में क्या न करें | Do Not Do Auspicious Things During Holashtak 2022

  • मान्यता है कि होलाष्टक में शादी, नामकरण संस्कार, विद्या आरंभ और संपत्ति की खरीदारी के साथ-साख नया व्यापार या नौकरी शुरू नहीं करनी चाहिए. कहते हैं कि होलाष्टक के दौरान किए गए किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों में सफलता नहीं मिलती है. हिंदू धर्म में होलाष्टक को अशुभ माना जाता है.
  • इन दिनों नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने की भी मनाही होती है.
  • होलाष्टक के आठ दिन किसी भी मांगलिक शुभ कार्य को करने के लिए शुभ नहीं माना जाता है.
  • शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है.
  • होलाष्टक के दौरान खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए. समय पर भोजन करना चाहिए और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. मांस, मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.

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होलाष्टक पर करने चाहिए ये काम

होलाष्टक के समय अपने आराध्य देवी-देवता की साधना के लिए अति उत्तम माना गया है. इस दौरान ईश्वर की भक्ति करते समय ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करना चाहिए.

होलाष्टक के दौरान तीर्थ स्थान पर स्नान और दान का बहुत महत्व है.

होलाष्टक में पूरे समय में भगवान शिव शंकर के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की उपासना की जाती है. माना जाता है कि होलाष्टक में प्रेम और आनंद के लिए किए गए सारे प्रयास सफल होते हैं. होलाष्टक में भगवान श्री हरि विष्णु की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. कहते हैं कि जीवन में आ रही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन नरसिंह भगवान की पूजा और इस मंत्र का जाप करना चाहिए... ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)