विज्ञापन
This Article is From Feb 12, 2022

Jaya Ekadashi 2022: इस दिन इंद्र के श्राप से मृत्युलोक पहुंची नृत्यांगना, पढ़ें पौराणिक कथा

माघ के शुक्ल पक्ष की एकदशी के दिन जया एकादशी का व्रत रखा जाता है. जया एकादशी का यह व्रत बहुत ही पुण्यदायी माना गया है. इस बार जया एकादशी आज 12 फरवरी, 2022 दिन शनिवार को है. आइए जानते हैं जया एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा.

Jaya Ekadashi 2022: इस दिन इंद्र के श्राप से मृत्युलोक पहुंची नृत्यांगना, पढ़ें पौराणिक कथा
Jaya Ekadashi 2022: पढ़ें जया एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा
नई दिल्ली:

हर माह की एकादशी (Ekadashi) तिथि का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा और व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है. माघ के शुक्ल पक्ष की एकदशी के दिन जया एकादशी (Jaya Ekadashi) का व्रत रखा जाता है. जया एकादशी का यह व्रत (Jaya Ekadashi Vrat) बहुत ही पुण्यदायी माना गया है. मान्यता के अनुसार, इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत करने से भूत-प्रेत, पिशाच जैसी योनियों में जाने का भय नहीं रहता है और जीवन और मरण के बंधन से मुक्ति मिलकर मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस बार जया एकादशी 12 फरवरी, 2022 दिन शनिवार को है. आइए जानते हैं जया एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा.

9krhj67

जया एकादशी व्रत की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक, एक समय की बात है जब इंद्र की सभा में उत्सव मनाया जा रहा था. इस सभा में संत, देवगण समेत दिव्य पुरूष सभी उपस्थित थे. इस बीच सभा में गंधर्व गीत गाए जा रहे थे, जिन पर गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं. इन्हीं गंधर्वों में एक माल्यवान नाम का गंधर्व भी था, जो बहुत ही सुरीला गाता था, जितनी सुरीली उसकी आवाज़ थी उतना ही सुंदर रूप था. उधर गंधर्व कन्याओं में एक सुंदर पुष्यवती नामक नृत्यांगना भी थी.

gl3a9ung

पुष्यवती और माल्यवान एक-दूसरे को देखकर सुध-बुध खो बैठते हैं और अपनी लय व ताल से भटक जाते हैं. उनके इस कृत्य से देवराज इंद्र नाराज़ हो जाते हैं और उन्हें श्राप देते हैं कि स्वर्ग से वंचित होकर मृत्यु लोक में पिशाचों सा जीवन भोगोगे. श्राप के प्रभाव से वे दोनों प्रेत योनि में चले गए और दुख भोगने लगे. पिशाची जीवन बहुत ही कष्टदायक था. दोनों बहुत दुखी थे.

u4d77jbg

एक समय माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था. पूरे दिन में दोनों ने सिर्फ एक बार ही फलाहार किया था. रात्रि में भगवान से प्रार्थना कर अपने किये पर पश्चाताप भी कर रहे थे. इसके बाद सुबह तक दोनों की मृत्यु हो गई. अंजाने में ही सही लेकिन उन्होंने एकादशी का उपवास किया और इसके प्रभाव से उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई और वे पुन: स्वर्ग लोक चले गए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com