हरतालिका तीज (Hartalika Teej) के दिन महिलाएं अपने पति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत (Hartalika Teej Vrat Niyam) करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है. इस दिन माता गौरी और भगवान शंकर की पूजा की जाती है. इस बार हरतालिका तीज 1 और 2 सितंबर को मनाई जा रही है. हरतालिका तीज सुहागिन महिलाओं के प्रमुख व्रतों में से एक है. यह व्रत हरियाली तीज (Hariyali Teej) और कजरी तीज (Kajari Teej) से ज्यादा कठोर होता है. इसलिए इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को खास नियमों का पालन किया जाता है. यहां आपको हरतालिका तीज के नियमों के बारे में बताया जा रहा है.
हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें?
हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है. यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है. व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लिया जाता है.
1 सितंबर या 2 सितंबर में से किस दिन रखें हरतालिका तीज का व्रत?
हरतालिका तीज के व्रत के नियम
- इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं रखती हैं. लेकिन एक बार व्रत रखने के बाद जीवन भर इस व्रत को रखना पड़ता है.
- अगर महिला ज्यादा बीमार है तो उसके बदले घर की अन्य महिला या फिर पति भी इस व्रत को रख सकता है.
- व्रत करने वाली महिला को किसी पर भी गुस्सा नहीं करना चाहिए. यही वजह है कि इस दिन महिलाएं मेहंदी लगाती हैं.
- व्रत करने वाली महिला को पति के साथ क्लेश नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत अधूरा रह जाता है.
- अगर आप इस व्रत को रख रही हैं तो किसी बुजुर्ग का अपमान न करें. मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत का प्रताप नहीं मिलता है.
- इस व्रत में सोने की मनाही है. यहां तक कि रात को भी सोना वर्जित है. रात के वक्त भजन-कीर्तन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाली महिला अगर रात को सो जाए तो वह अगले जन्म में अजगर बनती है.
- मान्यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन गलती से भी कुछ खा-पी ले तो वह अगले जन्म में बंदर बनती है.
- मान्यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन दूध पी ले तो वह अगले जन्म में सर्प योनि में पैदा होती है.
- व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद ही तोड़ा जाता है.
हरतालिका तीज की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व
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