हरतालिका तीज (Hartalika Teej) सुहागिन महिलाओं के प्रमुख व्रतों में से एक है. यह व्रत पति की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए रखा जाता है. इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर माता गौरी और भगवान भोले नाथ की आराधना करती हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार यह व्रत हर साल भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को आता है. लेकिन इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami) की ही तरह हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2019) की तिथि को लेकरक असमंजस की स्थिति बन गई है. महिलाओं को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर किस दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा जाना चाहिए. कुछ लोग कह रहे हैं कि व्रत 1 सितंबर को होगा, जबकि कुछ लोग 2 सितंबर को व्रत रखने की सलाह दे रहे हैं.
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हरतालिका तीज की तिथि को लेकर असमंजस क्यों?
हरतालिका तीज का व्रत भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया यानी कि गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले रखा जाता है. अब समस्या यह है कि इस साल पंचांग की गणना के अनुसार तृतीया तिथि का क्षय हो गया है यानी कि पंचांग में तृतीया तिथि का मान ही नहीं है. इस हिसाब से 1 सितंबर को जब सूर्योदय होगा तब द्वितीया तिथि होगी, जो कि 08 बजकर 27 मिनट पर खत्म हो जाएगी. इसके बाद तृतीया तिथि लग जाएगी. ज्योतिषियों के मुताबिक तृतीया तिथि अगले दिन यानी कि दो सितंबर को सूर्योदय से पहले ही सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में असमंजस इस बात का है कि जब तृतीया तिथि को सूर्य उदय ही नहीं हुआ तो व्रत किस आधार पर रखा जाए.
01 सितंबर को क्यों रखें हरतालिका तीज का व्रत?
इस बार हरतालिका तीज की तिथि को लेकर काफी असमंजस है. व्रत किस दिन रखा जाए इस बात को लेकर पंचांग के जानकार और ज्योतिषियों में भी मतभेद है. कुछ जानकारों का कहना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर को ही रखा जाना चाहिए क्योंकि तब दिन भर तृतीया रहेगी. तर्क यह भी है कि हरतालिका तीज का व्रत हस्त नक्षत्र में किया जाता है, जो कि 1 सितंबर को है. इसलिए व्रत 1 सितंबर को रखा जाना चाहिए. जानकारों का कहना है अगर आप 2 सितंबर को व्रत रखते हैं तो उस दिन सूर्योदय के बाद चतुर्थी लग जाएगी. ऐसे में तृतीया तिथि का व्रत मान्य नहीं होगा.
02 सितंबर को क्यों रखें हरतालिका तीज का व्रत?
कुछ जानकारों का मानना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर की बजाए 2 सितंबर को रखा जाना चाहिए. उनका तर्क है कि ग्रहलाघव पद्धति से बने पंचांग के अनुसार 2 सितंबर को सूर्योदय के बाद सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक तृतीया तिथि रहेगी और फिर चतुर्थी लग जाएगी. यानी कि तृतीया तिथि में सूर्योदय होगा. इसके अलावा कुछ विद्वानों को यह भी मानना है कि चतुर्थी युक्त तृतीया को बेहद सौभाग्यवर्द्धक माना जाता है. ऐसे में 2 सितंबर को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग और सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व के लिए सबसे उपयुक्त है.
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तर्क यह भी है कि हस्त नक्षत्र में तीज का पारण नहीं करना चाहिए. जो महिलाएं 1 सितंबर को व्रत रखेंगी उन्हें 2 सितंबर को तड़के सुबह हस्त नक्षत्र में ही व्रत का पारण करना पड़ेगा, जो कि गलत है. वहीं अगर महिलाएं 2 सितंबर को व्रत करें तो वे 3 सितंबर को चित्रा नक्षत्र में व्रत का पारण करेंगी. पुराणों में चित्रा नक्षत्र में व्रत का पारण करना शुभ और सौभाग्यवर्द्धक माना गया है.
बहरहाल, हम आपको यही सलाह देंगे कि अगर आप हरतालिका तीज का व्रत रखने की सोच रही हैं तो पहले अपने पंडित जी या ज्योतिषी से तिथ को लेकर विचार-विमर्श जरूर कर लें.
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