Hari Ki Pauri: बेहद खास है हरि की पौड़ी का महत्व, जानें आखिर भगवान विष्णु से कैसे जुड़ा ये घाट

Hari Ki Pauri: हरिद्वार (Haridwar) का हर की पौड़ी प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवभूमि उत्तराखंड की धार्मिक यात्रा पर जाते हैं.

Hari Ki Pauri: बेहद खास है हरि की पौड़ी का महत्व, जानें आखिर भगवान विष्णु से कैसे जुड़ा ये घाट

Hari Ki Pauri: हर की पौड़ी का खास धार्मिक महत्व है.

खास बातें

  • हर की पौड़ी से जुड़ी है पौराणिक कथा.
  • प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है हर की पौड़ी.
  • हर की पौड़ी पर होती है मां गंगा की भव्य आरती.

Hari Ki Pauri: उत्तराखंड (Uttarakhand) को देवभूमि कहा जाता है. इस देवभूमि (Devbhumi) में कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं. जिनमें से चार धाम (Char Dham) यानी केदारनाथ (Kedarnath), बद्रीनाथ (Badrinath), गंगोत्री (Gangotri) और यमुनोत्री (Yamunotri) प्रमुख तीर्थ स्थल हैं. इसके अलावा हरिद्वार (Haridwar) का हर की पौड़ी (Har Ki Pauri) भी प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. प्रत्येक साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवभूमि उत्तराखंड की धार्मिक यात्रा पर जाते हैं. हर की पौड़ी का मतलब हरि की पौड़ी से है. जिसका हिंदी भावार्थ भगवान श्रीहरि का चरण है. आइए जानते हैं हरि की पौड़ी के बारे में खास बातें.

हर की पौड़ी का महत्व क्या है | Importance of Har Ki Pauri

हरिद्वार का मुख्य गंगा घाट हरि की पौड़ी है. मान्यता है कि इस स्थान से मां गंगा धरती पर आती हैं. जिसके बाद मां गंगा उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं. हरि की पौड़ी के बारे में मान्यता है कि वहां एक पत्थर में भगवान विष्णु के पद चिह्न हैं. यही कारण है कि इस घाट को हरि की पौड़ी कहा जाता है. मान्यता है कि इस स्थान पर गंगा स्नान करने के पाप धुल जाते हैं. शाम के समय हरि की पौड़ी घाट पर मां गंगा की भव्य आरती की जाती है. मां गंगा की आरती का दृश्य बेहद मनमोहक होता है. 


हरि की पौड़ी से जुड़ी पौराणिक कथा | Story related to Har Ki Pauri


पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब समुद्र मंथन से अमृत की प्राप्ति हुई तो देवताओं और दानवों के बीच आमृतपान के लिए युद्ध छिड़ गया. कहा जाता है कि उस समय विश्वकर्मा जी अमृत छुपाकर ले जा रहे थे. दुर्योग से उस वक्त अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिर गईं. कहा जाता है कि जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरीं, वह स्थान धर्म स्थल बन गया. अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार में भी गिरीं. वह स्थान हरि की पौड़ी कहलाया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

प्राइम टाइम : ज्ञानवापी विवाद की वाराणसी जिला अदालत में सुनवाई

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com